केंद्र ने न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा को UAPA ट्रिब्यूनल का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया

केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण (Unlawful Activities (Prevention) Tribunal) का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके सहयोगियों पर प्रतिबंध की समीक्षा के लिए पीठासीन अधिकारी को नियुक्त किया गया है। संगठन के कार्यालयों और उसके पदाधिकारियों के आवासों पर तलाशी अभियान के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त करने के बाद केंद्र ने हाल ही में PFI पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (unlawful association” under the Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA)) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में सरकार द्वारा एक ट्रिब्यूनल के गठन का प्रावधान करता है, ताकि किसी संगठन के प्रतिबंध को लंबे समय तक कानूनी बाध्यता प्राप्त हो।

UAPA की धारा 3 के तहत केंद्र द्वारा किसी संगठन को “गैरकानूनी” घोषित करने के आदेश जारी किए जाते हैं। यह प्रावधान कहता है कि “इस तरह की कोई भी अधिसूचना तब तक प्रभावी नहीं होगी जब तक कि ट्रिब्यूनल ने धारा 4 के तहत किए गए आदेश द्वारा उसमें की गई घोषणा की पुष्टि नहीं कर दी और आदेश आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित नहीं हो गया”।

इस प्रकार, एक सरकारी आदेश तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक ट्रिब्यूनल इसकी पुष्टि नहीं कर देता। हालांकि, असाधारण परिस्थितियों में, लिखित में कारणों को दर्ज करने के बाद अधिसूचना तुरंत प्रभाव में आ सकती है।

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