कार्बन-न्यूट्रल खेती अपनाने वाला केरल, देश का पहला राज्य
केरल ने 2022-23 के बजट में कार्बन-न्यूट्रल यानी कार्बन तटस्थ खेती (carbon-neutral farming) के तरीकों को अपनाने के लिए 6 करोड़ रुपये आवंटित किया हैं। इसके साथ, राज्य चुनिंदा स्थानों में कार्बन-न्यूट्रल खेती के तरीकों को पेश करने वाला देश का पहला राज्य बनने के लिए तैयार है।
- पहले चरण में कृषि विभाग और आदिवासी क्षेत्रों के 13 फार्मों में कार्बन-न्यूट्रल खेती लागू की जाएगी और अलुवा में स्टेट सीड फार्म को कार्बन-न्यूट्रल फार्म में बदलने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
- दूसरे चरण में सभी 140 विधानसभा क्षेत्रों में मॉडल कार्बन न्यूट्रल फार्म विकसित किए जाएंगे।
कार्बन-न्यूट्रल खेती पद्धति
- एकीकृत कृषि विधियों के माध्यम से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, फसलों के रोटेशन, फर्टिगेशन (कीटनाशी एवं अन्य उर्वरकों को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाना) को अपनाना, सटीक खेती (precision farming methods) के तरीके, मिट्टी की सिंचाई के तरीकों को बदलना और उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग को सीमित करना मिट्टी के क्षरण को रोकने और इस प्रकार कृषि में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- मिट्टी को कार्बन बनाए रखने के लिए, उसे स्वस्थ और उपजाऊ होने की आवश्यकता है और इसलिए सरकार किसानों के साथ मिलकर जलवायु-स्मार्ट कृषि प्रथाओं के माध्यम से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के बारे में जागरूकता पैदा करेगी।
कार्बन न्यूट्रल क्या है?
- कार्बन तटस्थता का अर्थ है कार्बन उत्सर्जन और वातावरण से कार्बन को अवशोषित कर कार्बन सिंक में जमा करने के बीच संतुलन।
- कार्बन ऑक्साइड को वायुमंडल से निकालना और फिर उसका भंडारण करना कार्बन कैप्चर के रूप में जाना जाता है।
- शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए, सभी विश्वव्यापी ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कार्बन पृथक्करण द्वारा संतुलित करना होगा।
- कार्बन सिंक ऐसी कोई भी प्रणाली है जो उत्सर्जित होने से अधिक कार्बन को अवशोषित करती है।