एसिटाबुलरिया जलकन्याका (Acetabularia jalakanyakae)

Acetabularia jalakanyakae. Image credit: Felix Bast.

एसिटाबुलरिया जलकन्याका (Acetabularia jalakanyakae) एक एकल-कोशिका वाला हरा शैवाल (green algae) है जो उपोष्णकटिबंधीय जल में पायी जाती है।

  • नई पहचानी गई प्रजाति को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में अंतर्ज्वारीय चट्टानों से एकत्र किया गया था।
  • यह Dasycladales क्रम के Polyphysaceae परिवार से संबंधित है। इस परिवार से संबंधित प्रजातियों को “सजीव जीवाश्म” (living fossils) कहा जाता है। इसकी खूबसूरत छतरी के आकार की टोपी के कारण इसे ‘मत्स्यांगना का शराब का गिलास’ (mermaid’s wineglass) भी कहा जाता है।
  • एसिटाबुलरिया जीनस में कम से कम वर्तमान में स्वीकृत 13 प्रजातियां शामिल हैं।
  • भारत से चार प्रजातियां जानी जाती हैं, जिनमें से तीन अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से हैं। यह रूपात्मक रूप से एसिटाबुलरिया क्रेनुलाटा के समान है, जो की वेस्ट, फ्लोरिडा की एक हरी शैवाल प्रजाति है।

क्या हैं “सजीव जीवाश्म” (living fossils) ?

  • “सजीव जीवाश्म” (living fossils) शब्द चार्ल्स डार्विन द्वारा गढ़ा गया था।
  • इसका उपयोग उन जीवित प्राणियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं – कठोर और लचीले जीव जो लाखों वर्षों से बड़े पैमाने पर अपरिवर्तित रहे हैं।
  • एक सजीव जीवाश्म एक प्राचीन प्रजाति है जो (1) विलुप्त नहीं हुई है, (2) उत्पादन नहीं किया है, या “विकिरणित”, कई नई प्रजातियां (यानी कम टैक्सोनोमिक विविधता) इसकी नहीं है, और (3) समय के साथ सहस्राब्दियों से अपेक्षाकृत अपरिवर्तित बनी हुई है ।
  • कोलाकैंथस (Coelacanths), Ctenophores, साइनो बैक्टीरिया (Cyanobacteria), एलीफैंट शार्क, मगरमच्छ, हॉर्स शू क्रैब, अंजीर ततैया (Fig Wasps), जिन्कगो बिलोबा और साइकैड्स।

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