एकीकृत युद्ध समूहों (Integrated Battle Groups: IBG) के निर्माण की तैयारी
भारत के सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे के अनुसार, सेना ने पश्चिमी मोर्चे पर एक होल्डिंग फॉर्मेशन (रक्षात्मक गठन) और उत्तरी सीमाओं पर एक स्ट्राइक फॉर्मेशन (हमला के लिए तैयार सैन्य गठन) को एकीकृत युद्ध समूहों (Integrated Battle Groups: IBG) में परिवर्तित करने की पहचान की है। उनके मुताबिक इस विषय पर परामर्श कार्य पूरा हो गया है और क्रियान्वयन के अंतिम चरण में है।
एकीकृत युद्ध समूह (IBG) की विशेषताएं
- मौजूदा सैन्य संरचनाओं को एकीकृत युद्ध समूहों (IBG) में पुनर्गठित करने का उद्देश्य ऐसी सैन्य संरचना का निर्माण है जो , हल्की चुस्त और अनुकूल हों। साथ ही यह कमांडरों को वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए संबंधित थिएटरों में उनके उपयोग के लिए स्वायत्तता और अधिक विकल्प प्रदान करें।
- IGB की अवधारणा का पहले ही सेना के 9 कोर द्वारा परीक्षण किया जा चुका है और बाद में 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर द्वारा अपने अभ्यास में इसे शामिल करने को स्वीकार किया गया था।
- प्रत्येक एकीकृत युद्ध समूह (IBG) तीन T को थ्रेट, टेरेन और टास्क के आधार पर तैयार किया जाएगा। संसाधनों को थ्री T टी के आधार पर आवंटित किया जाएगा।
- इसके पीछे मुख्य मकसद केंद्रीकृत लॉजिस्टिक्स के साथ इन्हें हल्का रखना और स्थान के आधार पर 12-48 घंटे के भीतर तैनात करने में सक्षम करना है।
- एकीकृत युद्ध समूह रक्षात्मकऔर आक्रामक, दोनों प्रकार की भूमिकाएं निभाएंगे।
- IGB वर्तमान सैन्य संरचनाओं की तुलना में अधिक फुर्तीला और आक्रामक होगा। इनमें करीब 5,000 सैनिक होंगे। पैदल सेना, टैंक, तोपखाने, वायु रक्षा, सिग्नलों और इंजीनियरों का एक अलग मिश्रण होगा। इन सभी को एक साथ तैनात किया जाएगा।
- IGB ब्रिगेड से बड़े होंगे। इनमें प्रत्येक में 3,000 सैनिक होंगे, वे डिवीज़नों से छोटे होंगे। इनमें प्रत्येक में करीब 12,000 सैनिक सम्मिलित होंगे।
- नई संरचना की कमान मेजर जनरलों के पास होगी।
- IGB का विन्यास खतरे, शामिल क्षेत्र के प्रकार और प्राप्त किए जाने वाले कार्य पर निर्भर करेगा।
- विशेषज्ञों का कहना है कि आईजीबी के निर्माण से भारतीय सेना दुश्मनों के प्रकोप की स्थिति में उनके खिलाफ तत्काल आक्रामक कार्रवाई करने में सक्षम होगी।
एकीकृत युद्ध समूह (IBG) की जरुरत क्यों ?
- वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारतीय सेना ने बड़ी संख्या में सेना को तैनात कर दिया था, लेकिन सेना की जो संरचनाएँ आंतरिक क्षेत्रों में थीं, उन्हें लामबंद करने में दो महीने लग गए।
- इसके बाद, सेना ने तेजी से हमला शुरू करने के लिए ‘कोल्ड स्टार्ट रणनीति’ (Cold Start) के रूप में जाना जाने वाला एक सक्रिय सिद्धांत तैयार किया।
- हालाँकि बहुत समय तक इस रणनीति के अस्तित्व को लगातार नकारा गया। इसके अस्तित्व को पहली बार जनवरी 2017 में जनरल रावत ने स्वीकार किया।
क्या है ‘कोल्ड स्टार्ट’ (Cold Start) सिद्धांत ?
- ‘कोल्ड स्टार्ट’ (Cold Start) सिद्धांत या रणनीति त्वरित, सटीक और प्रभावी हमला कर वापस भारतीय सेना के अपने क्षेत्र में आ जाने की है ताकि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध न शुरू हो सके।
- इस रणनीति के तहत आदेश जारी होने के 48 घंटों के भीतर आक्रामक अभियान चलाया जायेगा, जिससे भारतीय सैनिक पाकिस्तानी सैनिकों को आश्चर्यचकित कर सकें।
- यदि पूर्ण युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती है तो इस रणनीति के तहत महज कुछ दिनों के भीतर पश्चिमी सीमा पर सैनिकों की तेजी से तैनाती कर ली जाएगी। इस सिद्धांत का उद्देश्य भारतीय सेना को पाकिस्तान से परमाणु जवाबी कार्रवाई को रोकने के दौरान निरंतर हमले करने की अनुमति देना है।
- ऑपरेशन को एक एकीकृत युद्ध समूह (IBG) द्वारा अंजाम दिया जाएगा जिसमें भारत की सेना की अलग-अलग शाखाएं शामिल होंगी।
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