इसरो ने इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (IAD) के साथ नई तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक ऐसी तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है जो उपयोग कर लिए गए रॉकेट चरणों की किफायती रिकवरी और अन्य ग्रहों पर सुरक्षित रूप से लैंड पेलोड की सहायता कर सकती है।
इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (Inflatable Aerodynamic Decelerator: IAD) नामक इस तकनीक को इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) तिरुवनंतपुरम द्वारा डिजाइन, विकसित किया गया और इसका थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) से 3 सितंबर को रोहिणी-300 (RH300 Mk II) साउंडिंग रॉकेट पर फलतापूर्वक परीक्षणकिया गया ।
यह परीक्षण किफायती तरीके से उपयोग कर लिए गए राकेट स्टेज की रिकवरी के लिए मार्ग प्रशस्त करता है और इस तकनीक का उपयोग इसरो के भविष्य के मिशनों में शुक्र और मंगल के लिए भी किया जा सकता है।
भविष्य के मिशनों के लिए कई ऍप्लिकेशन्स के साथ IAD को “गेम चेंजर” बताते हुए, VSSC ने कहा कि यह पहली बार था जब IAD को उपयोग कर लिए गए स्टेज की रिकवरी के लिए डिज़ाइन किया गया था।
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, IAD वायुमंडल के माध्यम से नीचे गिरने वाली वस्तु को धीमा करने का कार्य करता है। इसके लिए पॉलीक्लोरोप्रीन से लेपित केवलर फैब्रिक (Kevlar fabric coated with polychloroprene) से बने IAD को रॉकेट के पेलोड बे में पैक किया गया था।
रॉकेट के नोज-शंकु के अलग होने के बाद, IAD ने गैस की बोतल में संग्रहीत संपीड़ित नाइट्रोजन का उपयोग करके 84 किमी की ऊंचाई पर गुब्बारे की तरह फुलाया।
IAD ने व्यवस्थित रूप से वायुगतिकीय ड्रैग (aerodynamic drag) के माध्यम से पेलोड के वेग को कम कर दिया।
एक बार जब IAD समुद्र में गिर गया, तो यह एक डिफ्लेशन पायरो वाल्व (pyro valve) फायर करके डिफ्लेट हो गया।
वालियामाला स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC), द्वारा IAD को इन्फ्लेटेड करने के लिए प्रयुक्त वायवीय प्रणाली विकसित की गई थी।
इन्फ्लेटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (IAD) के विभिन्न प्रकार के अंतरिक्ष उपयोग हैं जैसे रॉकेट के उपयोग किए गए स्टेज की रिकवरी, मंगल या शुक्र पर पेलोड लैंडिंग के लिए और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए अंतरिक्ष आवास बनाना।