अखिल भारतीय घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) ने 24 फरवरी को अगस्त 2022 और जुलाई 2023 के बीच किए गए अखिल भारतीय घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey: HCES) के व्यापक नतीजे जारी किए।

आमतौर पर हर पांच साल में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा HCES आयोजित किया जाता है।

HCES 2022-23 के मुताबिक, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र के परिवारों का औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (monthly per capita consumption expenditure: MPCE) 11 साल की अवधि में दोगुना हो गया है, जिसमें दोनों ने खाद्य पदार्थों पर कम खर्च किया है।

ग्रामीण परिवारों के लिए MPCE 2022-23 में बढ़कर 3,773 रुपये हो गई, जो 2011-12 में 1,430 रुपये थी। इसी तरह, शहरी परिवारों के लिए MPCE पिछले दौर के 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 6,459 रुपये हो गई।

ग्रामीण परिवारों के लिए भोजन पर खर्च का अनुपात 2011-12 में 52.9% से घटकर 46.4% हो गया है, जबकि उनके शहरी क्षेत्र के परिवारों ने भोजन पर अपने कुल मासिक व्यय का केवल 39.2% खर्च किया है, जबकि 11 साल पहले यह 42.6% था। यह कमी देश की रिटेल मुद्रास्फीति गणना में खाद्य कीमतों के लिए कम महत्व में तब्दील हो सकती है।

MPCE द्वारा रैंक किए गए भारत की ग्रामीण आबादी के निचले 5% का औसत MPCE 1,441 रुपये है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 2,087 रुपये है। इसका मतलब है कि निचले 5% लोगों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में दैनिक औसत उपभोग व्यय 48 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 69.5 रुपये है।

राज्यों में, सिक्किम में ग्रामीण (7,731 रुपये) और शहरी क्षेत्रों (12,105 रुपये) दोनों के लिए MPCE सबसे अधिक है। यह छत्तीसगढ़ में सबसे कम है, जहां ग्रामीण परिवारों के लिए यह 2,466 रुपये और शहरी परिवारों के लिए 4,483 रुपये थी।

HCES 2022-23 की प्रश्नावली में 405 आइटम हैं, जबकि 2011-12 में 347 आइटम थे। इसके अलावा, HCES 2022-23 से पहले घरेलू उपभोग व्यय पर सभी एनएसएस सर्वेक्षणों में एक ही प्रश्नावली का उपयोग किया गया था। हालाँकि, HCES 2022-23 में, तीन अलग-अलग प्रश्नावली का उपयोग किया गया है जिनमें (i) खाद्य पदार्थ, (iii) उपभोग्य और सेवा आइटम, और (iii) टिकाऊ सामान शामिल हैं।

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