दुनिया के पहले ‘CO2-से-मेथनॉल रूपांतरण प्लांट’ का उद्घाटन

भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी NTPC ने 8 नवंबर, 2024 को मध्य प्रदेश के सिंगरौली में अपनी विंध्याचल फैसिलिटी में दुनिया के पहले CO2-से-मेथनॉल रूपांतरण संयंत्र का उद्घाटन किया। इस अवसर पर NTPC ने लेह में हाइड्रोजन-ईंधन से चली वाली बसों को भी लॉन्च किया।

NTPC जनरेशन-4 इथेनॉल, ग्रीन यूरिया और सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल के क्षेत्र में  काम कर रही है। कंपनी ने मेथनॉल संश्लेषण के लिए ‘पहला स्वदेशी कैटेलिस्ट’ भी विकसित और परीक्षण किया है और पर्यावरण की दृष्टि से संधारणीय भविष्य के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए हाइड्रोजन, कार्बन कैप्चर और अन्य नवीन तकनीकों के साथ पर्याप्त प्रगति की है।  

इथेनॉल के फीडस्टॉक

बता दें कि अनाज आधारित पहली पीढ़ी या 1 इथेनॉल संयंत्र चावल, मक्का आदि अनाज में मौजूद स्टार्च को इथेनॉल में बदल सकता है।

दूसरी पीढ़ी या 2G  इथेनॉल संयंत्र चावल के भूसे, गेहूं के भूसे, एनर्जी क्रॉप्स जैसे कृषि अवशेषों को इथेनॉल में बदल सकते हैं।

कृषि अवशेष, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (MSW), गाय के गोबर आदि से कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) या बायो-CNG का उत्पादन किया जा सकता है। CBG आसानी से CNG की जगह ले सकता है।

शुगर आधारित फसलों से इथेनॉल बनाने की पारंपरिक विधि के विपरीत, 3G या तीसरी पीढ़ी का इथेनॉल अपशिष्ट जल, सीवेज या खारे पानी से शैवाल द्वारा बनाया जाता है।

चौथी पीढ़ी (जनरेशन-4) के जैव ईंधन में आनुवंशिक रूप से इंजीनियर सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है, जिसमें सूक्ष्म शैवाल, यीस्ट, कवक और साइनोबैक्टीरिया शामिल हैं, जो CO2 को ईंधन में परिवर्तित करते हैं।

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