विश्व साइबर अपराध सूचकांक: भारत रैंकिंग में 10वें स्थान पर
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और UNSW कैनबरा के शोधकर्ताओं ने नए विश्व साइबर अपराध सूचकांक (World Cybercrime Index) जारी किया। यह पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार अधिकांश साइबर अपराधी कुछ ही देशों से आते हैं।
सूचकांक में पांच मुख्य साइबर अपराध श्रेणियों पर फोकस किया गया है, उनमें रैन्समवेयर सहित जबरन वसूली, हैकिंग, क्रेडिट कार्ड सहित डाटा की चोरी, अग्रिम शुल्क धोखाधड़ी, मनी लांड्रिंग शामिल हैं। लोगों को पहले भुगतान (एडवांस) के लिए कहकर सबसे अधिक ठगी की जाती है।
इसमें उन देशों की पहचान की गई है जो हर साइबर अपराध श्रेणी का मुख्य सोर्स हैं। इसके अलावा हर देश को साइबर क्राइम एक्टिविटी के प्रभाव के आधार पर भी रैंक किया।
2028 में दुनिया भर में साइबर अपराध की वजह से लगभग 9.22 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और 2028 में यह बढ़कर 13.82 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
सूचकांक से पता चलता है कि अपेक्षाकृत कुछ देश ही सबसे बड़े साइबर आपराधिक खतरों के लिए जिम्मेदार हैं। इस सूची में रूस शीर्ष पर है, उसके बाद यूक्रेन, चीन, अमेरिका, नाइजीरिया और रोमानिया हैं। उत्तर कोरिया सातवें, ब्रिटेन आठवें और ब्राजील नौवें स्थान पर है। भारत रैंकिंग में 10वें स्थान पर है। शीर्ष दो स्थान पर रूस और यूक्रेन रहे।
रूस का वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स स्कोर 100 में से 58.39 रहा, यूक्रेन का 36.44 और चीन का 27.86 रहा। भारत का WCI स्कोर 6.13 रहा।