WPI आधार वर्ष 2022-23 करने के लिए कार्य समूह का गठन
भारत सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) की वर्तमान श्रृंखला के आधार वर्ष (बेस ईयर) को वर्तमान में 2011-12 से संशोधित कर 2022-23 करने के लिए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद के नेतृत्व में एक कार्य समूह का गठन किया है।
यह कार्य समूह अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए 2022-23 आधार वर्ष के साथ WPI और उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) की कमोडिटी बास्केट का सुझाव देगा और मूल्य संग्रह की मौजूदा प्रणाली की समीक्षा करेगा और सुधार का सुझाव देगा।
मौजूदा WPI आधार वर्ष 2011-12 श्रृंखला मई 2017 में शुरू की गई थी। पहली बार 1942 में 1939 को आधार वर्ष अपनाकर WPI की शुरुआत हुई थी।
तब से सात संशोधनों के बाद नए आधार वर्ष अपनाए गए हैं। ये सात आधार वर्ष हैं;1952-53, 1961-62, 1970-71, 1981-82, 1993-94, 2004-05 और 2011-12।
वर्तमान में, WPI में कुल 697 आइटम हैं, जिनमें प्राथमिक वस्तुएं (117), ईंधन और बिजली (16), और विनिर्मित उत्पाद (564) शामिल हैं।
उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI)
उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index: PPI) घरेलू उत्पादकों को उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को मिली कीमतों में समय के साथ औसत परिवर्तन को मापता है। PPI थोक मुद्रास्फीति की माप है।
वर्तमान में, PPI यू.एस. ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स द्वारा मासिक रूप से प्रकाशित किया जाता है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में दोहरी गणना की संभावना होती है क्योंकि यह एक ही उत्पाद को एक से अधिक बार गिनता है।
उत्पादक मूल्य सूचकांक (PPI) को उत्पादन के विभिन्न चरणों में कीमतों को ट्रैक करके इस समस्या को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए यह एक ही उत्पाद की दोहरी गणना नहीं करता है।