लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)

हाल ही में संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) ने सरकार को राष्ट्रीय राजमार्गों (NH) पर टोल टैक्स तय करने वाले मौजूदा नियमों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

वर्तमान टोल टैक्स राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 के आधार पर प्रति किलोमीटर शुल्क की दर पर लगाया जाता है। 2008 के बाद से सड़क पर वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जिसके कारण समिति ने सरकार को इन नियमों की समीक्षा करने का निर्देश दिया।

लोक लेखा समिति की स्थापना पहली बार 1921 में मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के तहत की गई थी। यह अब हर वर्ष लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 308 के तहत गठित की जाती है।

लोक लेखा समिति में 22 से अधिक सदस्य नहीं होते हैं, जिनमें से 15 सदस्य लोकसभा द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के आधार पर एकल संक्रमणीय मत पद्धति से चुने जाते हैं और 7 सदस्य राज्यसभा से चुने जाते हैं।

1966-67 तक समिति का अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल का एक वरिष्ठ सदस्य हुआ करता था, लेकिन 1967 में पहली बार लोकसभा में विपक्ष के एक सदस्य को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। तब से यह परंपरा जारी है।

समिति के सदस्यों का कार्यकाल एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होता।

किसी मंत्री को समिति का सदस्य नहीं चुना जाता और यदि कोई सदस्य मंत्री बन जाता है, तो वह नियुक्ति की तिथि से समिति की सदस्यता खो देता है।

लोकसभा अध्यक्ष समिति के सदस्यों में से अध्यक्ष नियुक्त करता है।

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