WHO ने नोमा (Noma) बीमारी को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के रूप में मान्यता दिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (NTDs) की अपनी आधिकारिक सूची में नोमा/noma (केंक्रम ओरिस या गैंग्रीनस स्टामाटाइटिस) को शामिल करने की घोषणा की।
नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के लिए रणनीतिक और तकनीकी सलाहकार समूह (STAG-NTD) की 17वीं बैठक में इस निर्णय की सिफारिश की गई थी।
नोमा (noma) बीमारी
नोमा (noma), मुंह और चेहरे की एक गंभीर गैंग्रीनस बीमारी है, जो मुख्य रूप से अत्यधिक गरीबी वाले क्षेत्रों में कुपोषित छोटे बच्चों (2 से 6 वर्ष की आयु के बीच) को प्रभावित करती है।
यह मसूड़ों की सूजन के रूप में शुरू होता है, जिसका अगर जल्दी इलाज न किया जाए तो यह तेजी से फैलकर चेहरे के ऊतकों और हड्डियों को नष्ट कर देता है। इससे अक्सर मृत्यु भी हो जाती है, या फिर इस बीमारी से पीड़ित जीवित बचे लोगों को गंभीर विकृति का सामना करना पड़ता है।
रोग की तीव्र वृद्धि और इससे जुड़े कलंक के कारण नोमा मरीजों की संख्या का सटीक अनुमान चुनौतीपूर्ण है, जिसके कारण कई मरीज इलाज से वंचित हो जाते हैं।
नोमा बीमारी के अधिकतर मामले उप-सहारा अफ्रीका में पाए जाते हैं, हालांकि अमेरिका और एशिया में भी मामले सामने आए हैं।
सबूत बताते हैं कि नोमा मुंह में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बीमारी से जुड़े कई रिस्क फैक्टर हैं, जिनमें मुंह को साफ नहीं रखना, कुपोषण, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, संक्रमण और अत्यधिक गरीबी शामिल हैं।
नोमा संक्रामक नहीं है, लेकिन जब शरीर की इम्यून कमजोर हो जाती है तो यह हमला करता है। इस बीमारी का शीघ्र पता लगाना आवश्यक है, क्योंकि बीमारी के प्रारंभिक चरण में उपचार सबसे प्रभावी होता है जब यह गंभीर सूजन वाले मसूड़ों का कारण बनता है, जिसे तीव्र नेक्रोटाइज़िंग मसूड़े की सूजन (necrotizing gingivitis) के रूप में जाना जाता है।
उपचार में एंटीबायोटिक्स, कीटाणुनाशक माउथवॉश (नमक का पानी या क्लोरहेक्सिडिन का उपयोग किया जा सकता है) और पोषण संबंधी खुराक के साथ मुंह की स्वच्छता में सुधार करने के तरीकों पर सलाह शामिल है।