WHO ने मंकीपॉक्स को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा (PHEIC) घोषित किया
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक मंकीपॉक्स (Monkeypox) के प्रकोप को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा (public health emergency of international concern: PHEIC) के रूप में घोषित किया है। वर्ष 2009 के बाद से यह 7वीं बार है WHO ने जब इस तरह की घोषणा की है। सबसे हाल ही में 2020 में कोविड -19 को PHEIC घोषित किया गया था।
मंकीपॉक्स के बारे में
- मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। मंकीपॉक्स वायरस वैरियोला वायरस (variola virus) के एक ही परिवार का हिस्सा है, जो चेचक का कारण बनता है।
- मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान होते हैं, लेकिन उसकी तुलना में हल्के लक्षण होते है, और मंकीपॉक्स शायद ही कभी घातक होते हैं।
- मंकीपॉक्स का चिकनपॉक्स से कोई संबंध नहीं है।
- WHO ने कहा कि इसका प्रकोप मुख्य रूप से ऐसे पुरुषों में पाया गया जो उन पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते थे जिन्होंने हाल ही में नए या कई पार्टनर्स के साथ यौन संबंध बनाने की सूचना दी थी।
- वर्तमान प्रकोप मई 2022 में शुरू हुआ, जब 20 मई को ब्रिटेन में 20 मामले दर्ज किए गए, जिनमें ज्यादातर समलैंगिक पुरुष थे। तब से, भारत सहित 75 देशों में इसका प्रकोप लगभग 16,000 मामलों तक बढ़ गया है।
- मंकीपॉक्स की खोज 1958 में हुई थी जब शोध के लिए रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे।
- “मंकीपॉक्स” नाम होने के बावजूद, बीमारी का स्रोत अज्ञात है। हालांकि, अफ्रीकी रोडेन्ट्स और गैर-मानव प्राइमेट (जैसे बंदर) वायरस को रखे हो सकते हैं और लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।
- मंकीपॉक्स से मानव के संक्रमण का पहला मामला 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में दर्ज किया गया था।
- मंकीपॉक्स एक संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है।
- डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक चलने वाले लक्षणों के साथ एक आत्म-सीमित बीमारी है।
- मंकीपॉक्स वायरस घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और बिस्तर जैसी दूषित सामग्री के निकट संपर्क से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।
केरल ने भारत में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि की
अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा (PHEC) के बारे में
- PHEIC सीमा पार सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदाओं से निपटने में देशों के अधिकारों और दायित्वों को परिभाषित करने के लिए 2005 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों पर आधारित है।
- WHO ने एक PHEIC को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों द्वारा “एक ऐसी असाधारण घटना के रूप में परिभाषित किया है जो बीमारी के अंतरराष्ट्रीय संक्रमण के माध्यम से अन्य देशों के लिए एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा बन सकता है और इससे निपटने के लिए एक समन्वित अंतर्राष्ट्रीय कदम/कार्रवाई की आवश्यकता होती है”।
- PHEIC का उद्देश्य गंभीर स्वास्थ्य खतरों पर ध्यान केंद्रित करना है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने और दुनिया भर के लोगों को खतरे में डालने की क्षमता रखते हैं।
- PHEIC घोषित करने का उद्देश्य रोकथाम और रेस्पॉन्स के उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सूचना और संसाधनों को जुटाने और समन्वय करने में मदद करना है।
- WHO ने अब तक सात बार PHEIC घोषित किया है, और सभी वायरस जनित संक्रमण हैं।
WHO ने अब तक निम्नलिखित 7 प्रकोपों को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा (PHEIC) घोषित किया है:
- मंकीपॉक्स: मंकीपॉक्स के लिए जुलाई 2022 में घोषित किया गया जब 75 देशों में इसके संक्रमण दर्ज किये गए।
- COVID-19: COVID-19 के लिए जनवरी 2020 में तब घोषित किया गया जब पहली बार चीन के बाहर वायरस संक्रमण का पता चला था।
- इबोला: जुलाई 2019 में लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में प्रकोप के पश्चात दूसरी बार इबोला को PHEIC घोषित किया गया।
- जीका: फरवरी 2016 में जीका को PHEIC घोषित किया गया। इसका संक्रमण ब्राजील में शुरू हुआ और ज्यादातर लैटिन अमेरिका को प्रभावित किया।
- इबोला: इबोला के पश्चिम अफ्रीका में फैलने के पश्चात अगस्त 2014 में PHEIC घोषित किया गया। बाद में यूरोप और अमेरिका में भी फैल गया।
- पोलियो: मई 2014 में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नाइजीरिया में “वाइल्ड पोलियो” और वैक्सीन-जनित वायरस के प्रसार में वृद्धि के बाद PHEIC घोषित किया गया।
- H1N1: वर्ष 2009 में H1N1 या “स्वाइन फ्लू” को PHEIC घोषित किया गया। इसका मामला मेक्सिको में शुरू हुआ और बाद में दुनिया भर में फैल गया।
इनके अलावा तीन प्रकोपों पर भी विचार किया गया लेकिन अंतरराष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा (PHEIC ) घोषित नहीं किया गया। इनमें सबसे पहले 2013 में सऊदी अरब में पहचाने गए घातक MERS प्रकोप शामिल हैं।