XPoSat: भारत का पहला और दुनिया का दूसरा पोलारिमेट्री मिशन

Image credit: Wikimedia Commons

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) बनाने के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI), बेंगलुरु के साथ सहयोग कर रहा है। XPoSat के इस साल के अंत में लॉन्च किये जाने की संभावना है।

XPoSat के बारे में

XPoSat विषम परिस्थितियों में चमकीले खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न डायनामिक्स का अध्ययन करेगा।

यह भारत का पहला और दुनिया का दूसरा पोलारिमेट्री मिशन है।  इस मिशन का उद्देश्य चरम स्थितियों में चमकीले खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न  डायनामिक्स का अध्ययन करना है।

ऐसा पहला मिशन नासा का इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) है जिसे 2021 में लॉन्च किया गया था।

XPoSat  पृथ्वी की निचली कक्षा में दो वैज्ञानिक पेलोड स्थापित करेगा।  

POLIX (पोलारिमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्स-रे) पोलारिमेट्री पैरामीटर (पोलेराइजेशन की डिग्री और एंगल) को मापेगा।

दूसरा पेलोड XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग) है जो  स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी देगा (वस्तुओं द्वारा प्रकाश को कैसे अवशोषित और उत्सर्जित किया जाता है)। यह कई प्रकार के स्रोतों का निरीक्षण करेगा, जैसे कि एक्स-रे पल्सर, ब्लैकहोल बायनेरिज़, निम्न-चुंबकीय क्षेत्र न्यूट्रॉन स्टार आदि।

एक्स-रे

एक्स-रे में 0.03 और 3 नैनोमीटर के बीच बहुत अधिक ऊर्जा और बहुत छोटे तरंग दैर्ध्य होते हैं, इतने छोटे कि कुछ एक्स-रे कई तत्वों के एक परमाणु से बड़े नहीं होते हैं।

किसी वस्तु का भौतिक तापमान उसके द्वारा उत्सर्जित विकिरण की तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) को निर्धारित करता है। वस्तु जितनी अधिक गर्म होगी, अधिकतम उत्सर्जन की तरंग दैर्ध्य उतनी ही छोटी होगी।

एक्स-रे लाखों डिग्री सेल्सियस वाले पिंडों; पल्सर, गैलेटिक सुपरनोवा अवशेष और ब्लैक होल से उत्सर्जित होते हैं। 

error: Content is protected !!