लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) फिर से शुरू हो रही है

स्विट्जरलैंड स्थित सर्न ( CERN) के नाम से मशहूर यूरोपियन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ न्यूक्लियर रिसर्च में मौजूद दुनिया की सबसे शक्तिशाली पार्टिकल एक्सलरेटर – लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (Large Hadron Collider: LHC) – 5 जुलाई से शुरू होने जा रही है। इस बार इससे 13.6 ट्रिल्‍यन इलेक्‍ट्रोनवोल्‍ट की ऊर्जा निकलेगी।

इस प्रयोग के दौरान प्रोटोन पर विपरीत दिशा से महामशीन दो बीम डालेगी। यह बीम एक 27 किलोमीटर लंबे रिंग पर डाला जाएगा जो स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर धरती से 100 मीटर नीचे बनाया गया है।

मशीन के महाटक्‍कर से निकले परिणामों को दर्ज किया जाएगा और वैज्ञानिकों द्वारा विश्‍लेषित किया जाएगा। इन आंकड़ों का इस्‍तेमाल भविष्‍य में डार्क मैटर, डार्क एनर्जी और ब्रह्मांड के अन्‍य मूलभूत रहस्‍यों की जांच में किया जाएगा।

सर्न का लक्ष्‍य प्रोटॉन और प्रोटॉन के बीच प्रति सेकंड 1.6 अरब टक्‍कर कराना है। इस नई ऊर्जा की दर से वैज्ञानिक हिग्‍स बोसोन की और ज्‍यादा जांच कर सकेंगे।

नई भौतिकी

नए शोध के दौरान वैज्ञानिक डेटा को रिकॉर्ड और विश्लेषण करेंगे, जो कि “नई भौतिकी” (new physics) के साक्ष्य दे सकता है।

नई भौतिकी, कण भौतिकी के स्टैण्डर्ड मॉडल (Standard Model of Particle Physics) से परे भौतिकी है, जो बताता है कि चार मौलिक बलों द्वारा शासित पदार्थ के बुनियादी निर्माण खंड कैसे आपसी संपर्क करते हैं।

डिटेक्टर

ATLAS, CMS, ALICE और LHCb डिटेक्टर LHC के रिंग के चारों ओर स्थित चार विशाल भूमिगत गुफाओं में स्थापित हैं।

LHC जब बंद था, तब इसके दौरान स्थापित दो नए डिटेक्टर FASER (फॉरवर्ड सर्च एक्सपेरिमेंट) और SND (स्कैटरिंग और न्यूट्रिनो डिटेक्टर) हैं। FASER न्यूट्रिनो और संभावित डार्क मैटर सहित प्रकाश और कमजोर रूप से परस्पर क्रिया करने वाले कणों की खोज करेगा, जबकि SND विशेष रूप से न्यूट्रिनो पर ध्यान केंद्रित करेगा।

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC)

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) का उद्देश्य बिग बैंग सिद्धांत को समझना, डार्क मैटर और ब्लैक होल का गहन अध्‍ययन करना है। लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर को 1.9 केल्विन या -271 डिग्री सेल्सियस पर चलाया जाता है।

इस महाप्रयोग में 85 देशों के हजारों वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। सर्न की मशीन में 27 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन जैसा एक ढांचा है। इसमें दो सामानांतर बीम पाइप लगाए गए हैं, जो चार पॉइंट पर एक-दूसरे से मिलते हैं। इसमें करीब-करीब लाइट की रफ्तार से प्रोटोन्स को दो विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की तरफ दौड़ाया जाता है।

एक बिंदु पर आकर इन्हें आपस में टकराया जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस टक्कर से वैसी ही परिस्थितियां पैदा होनी चाहिए, जैसी करीब 13.7 अरब साल पहले बिग बैंग ब्रह्माण्ड के बनने के दौरान रही होंगी। इससे बिग बैंग और ब्रह्माण्डके निर्माण को करीब से जाना जा सकेगा।

हिग्‍स बोसोन की खोज

लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर ने सबसे पहले 4 जुलाई 2012 को सबसे पहले हिग्‍स बोसोन की खोज की थी। इसके बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उन्होंने उस गॉड पार्टिकल की खोज कर ली है, जिससे ब्रम्हाण्ड का अधिकांश हिस्सा बना है।

हिग्स बोसोन वास्तव में एक खास कण है क्योंकि शुरुआती कण जिस तरह से अपना द्रव्यमान ग्रहण करते हैं वो इससे सम्बन्धित है। जब ये कण हिग्स फील्ड में एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तो द्रव्यमान हासिल कर लेते हैं।

हिग्स बोसोन वो है जिसे हिग्स फील्ड का अस्तित्व दिखाने के प्रयोग में खोजा जा सकता है। वास्तव में, एक हिग्स फील्ड एक ऊर्जा क्षेत्र है जो दूसरे बुनियादी कणों जैसे इलेक्ट्रॉन और क्वार्क्स को द्रव्यमान देता है।

हिग्स बोसोन को ईश्वरीय कण यानी ‘गॉड पार्टिकल’ कहा गया क्योंकि द्रव्यमान हासिल करने की प्रक्रिया को बिग बैंग से जोड़ा गया है

माना जाता है कि बिग बैंग से मौजूदा ब्रह्मांड का अस्तित्व सामने आया है। इस खोज के लये पीटर हिग्स और उनके सहयोगी फ्रांस्वा एंगलर्ट को 2013 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

पार्टिकल फिजिक्स का स्टैण्डर्ड मॉडल

कण भौतिकी (पार्टिकल फिजिक्स) का स्टैण्डर्ड मॉडल ब्रह्मांड के सबसे बुनियादी निर्माण खंडों (basic building blocks) का वर्णन करने के लिए वैज्ञानिकों का वर्तमान सर्वोत्तम सिद्धांत है।

यह बताता है कि कैसे क्वार्क (quarks) नामक कण (जो प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाते हैं) और लेप्टान/leptons (जिसमें इलेक्ट्रॉन शामिल हैं) सभी ज्ञात पदार्थ बनाते हैं।

यह यह भी बताता है कि बोसोन ( bosons) के एक व्यापक समूह से संबंधित बल ले जाने वाले कण क्वार्क और लेप्टान को कैसे प्रभावित करते हैं।

स्टैंडर्ड मॉडल ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली चार मूलभूत बलों (four fundamental forces) में से तीन की व्याख्या करता है। ये हैं: विद्युत चुंबकत्व बल, मजबूत बल और कमजोर बल।

डार्क मैटर

हमारे ब्रह्मांड का ज्यादा 80 से 85 फीसदी का हिस्सा डार्क मैटर से बना है। इसका नाम डार्क मैटर इसलिए है क्योंकि यह प्रकाश से संपर्क नहीं करता है। इसलिए इस हम इसे देख नहीं सकते।

हम अब भी ये नहीं जानते कि आखिर ये है क्या? वैज्ञानिकों ने अभी तक डार्क मैटर के बारे में केवल अप्रत्यक्ष प्रमाणों को ही परखा है। प्रत्यक्ष तौर पर इसकी कोई निश्चित खोज अभी तक नहीं हो पाई है। अभी भी यह कण रहस्य में छिपा है।

बिग बैंग सिद्धांत

बिग बैंग उस सिद्धांत को कहा जाता है, जिसके मुताबिक करीब 13.7 अरब साल पहले सारे फिजिकल पार्टिकल और ऊर्जा एक बिंदु में सिमटे हुए थे। फिर इस बिंदु ने फैलना शुरू किया।

बिग बैंग बम विस्फोट जैसा नहीं था, बल्कि इसमें ब्रम्हाण्ड के शुरुआती पार्टिकल्स हर ओर फैल गए और एक-दूसरे से दूर भागने लगे। इस सिद्धांत की खोज ऐडविन हबल नामक साइंटिस्ट ने की थी।

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