जेनेटिक-इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC)
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने जेनेटिक-इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee: GEAC) में विशेषज्ञों के चयन के नियमों में संशोधन किया है। यह संशोधन पारदर्शिता बढ़ाने और हितों के टकराव (Conflicts of Interest) से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए किए गए हैं। ये बदलाव सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2023 के आदेश के अनुरूप हैं, जिसमें केंद्र सरकार को आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों पर एक राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया गया था।
नियमों में मुख्य संशोधन:
- हितों का प्रकटीकरण: GEAC के लिए चुने गए विशेषज्ञों को अब अपने कर्तव्यों से संबंधित किसी भी संभावित हितों का प्रकटीकरण करना अनिवार्य होगा।
- हितों के टकराव का समाधान: विशेषज्ञों को यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने होंगे कि GEAC में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर उनके व्यक्तिगत हितों का प्रभाव न पड़े।
जेनेटिक-इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) के बारे में:
- GEAC भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) जीवों, विशेष रूप से बीजों, की निगरानी करने वाली शीर्ष विनियामक संस्था है।
- यह “खतरनाक सूक्ष्म जीवों/आनुवंशिक रूप से इंजीनियर जीवों या कोशिकाओं के निर्माण, उपयोग/आयात/निर्यात और भंडारण के नियम (नियम, 1989)” के तहत स्थापित की गई थी, जो पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत बनाए गए थे।
- मंत्रालय: यह केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत संचालित होती है।
- अध्यक्ष: MoEF&CC के विशेष सचिव/अतिरिक्त सचिव।
- सह-अध्यक्ष: जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के प्रतिनिधि।
- जिम्मेदारियां:
- GM फसलों के पर्यावरणीय रिलीज से पहले GEAC की मंजूरी अनिवार्य है।
- आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों या कोशिकाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करना।
भारत में GM फसलें:
- स्वीकृत फसल: Bt कपास (Cotton) भारत में व्यावसायिक खेती के लिए स्वीकृत एकमात्र GM फसल है।
- लंबित आवेदन: Bt बैंगन (Brinjal) और शाकनाशी-सहिष्णु सरसों (Herbicide-Tolerant Mustard) जैसी GM फसलों के कई आवेदन समीक्षा के अधीन हैं या स्वीकृति की प्रतीक्षा कर रहे हैं।