ईरान में मॉरैलिटी पुलिस ‘गश्त-ए-इरशाद’ को भंग किया गया

ईरान में हिजाब न पहनने के मामले में हिरासत में एक युवती की मौत के बाद सरकार विरोधी व्यापक प्रदर्शनों के बाद देश की मॉरैलिटी पुलिस जिसे गश्त-ए-इरशाद (Gasht-e-Ershad) या गाइडेंस पेट्रोल के नाम से भी जाना जाता है भंग कर दिया गया है।

बता दें कि कुछ महीने पहले 22 वर्षीय महसा अमीनी (Mahsa Amin) की पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से ईरान में इसके ख़िलाफ़ सरकार-विरोधी प्रदर्शन जारी हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में 300 से अधिक लोगों की मौत भी हुई है।

महसा अमीनी को तेहरान की गश्त-ए-इरशाद ने कथित तौर पर ‘ठीक से हिजाब’ न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया था और बाद में उनकी मौत हो गई।

ईरान के सख़्त नियमों के अनुसार, महिलाओं के लिए हिजाब या हेडस्कार्फ़ पहनना अनिवार्य है।

‘गश्त-ए-इरशाद’ का गठन वर्ष 2006 में हुआ था। यह न्यायपालिका और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स से जुड़े पैरामिलिट्री फोर्स ‘बासिज’ के साथ मिलकर काम करता है। इस संगठन का काम ईरान में सार्वजनिक तौर पर इस्लामी आचार संहिता को लागू करना है।

वैसे, गश्त-ए-इरशाद’ का गठन भले ही 2006 में हुआ हो, लेकिन साल 1979 की क्रांति के बाद से ही ईरान में सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए ‘मोरैलिटी पुलिस’ कई रूपों में मौजूद रही है। इनके अधिकार क्षेत्र में महिलाओं के हिजाब से लेकर पुरुषों और औरतों के व्यक्तिगत संबंधों का मुद्दा भी शामिल रहा है।

महिलाओं के लिए कुछ नियमों में उनके सिर को चादर या हिजाब से ढंकना और महिलाओं के बीच सौंदर्य प्रसाधनों के इस्तेमाल से बचना शामिल है। पुरुषों और महिलाओं, दोनों को भी तंग पतलून, रिप्ड जींस, चमकीले रंग के आउटफिट और घुटनों को उजागर करने वाले कपड़े पहनने से हतोत्साहित किया जाता है। वे ध्वनि प्रदूषण, असुरक्षित ड्राइविंग और लड़कियों को परेशान करने वालों को भी फटकार लगाते हैं।

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