मिरर बैक्टीरिया क्या है?

हाल ही में, नोबेल पुरस्कार विजेताओं और अन्य विशेषज्ञों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने चेतावनी दी है कि प्राकृतिक मॉलिक्यूल की मिरर इमेज से निर्मित मिरर बैक्टीरिया (mirror bacteria) पर्यावरण में स्थायी हो सकते हैं और प्राकृतिक जीवों की प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकते हैं।

इससे मानव, पशु और पौधों के लिए घातक संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है। मिरर बैक्टीरिया कृत्रिम या सिंथेटिक सूक्ष्मजीव हैं, जिनमें सभी मॉलिक्यूल्स की संरचना विपरीत चिरालिटी (यानी ‘प्रतिबिंबित’) होती है।  

बता दें कि जीवन के लिए कई मोलेक्युल्स  दो भिन्न रूपों में मौजूद हो सकते हैं, जो एक-दूसरे के प्रतिबिंब या मिरर होते हैं। ज्ञात जीवन की एक बुनियादी विशेषता एक समान चिरालिटी या “हैंडेडनेस” है।

सभी जीवित प्राणियों का डीएनए “दायीं ओर” वाले न्यूक्लियोटाइड्स से बना होता है, जबकि प्रोटीन, जो कोशिकाओं के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं, “बायीं ओर” वाले अमीनो एसिड से बने होते हैं। मिरर बैक्टीरिया में यह स्थिति मिरर इमेज की तरह उलट जाती है यानी दाईं ओर वाला अंग बाईं ओर दीखता है और बायीं ओर वाला अंग दाईं ओर दिखता है।

वैज्ञानिक मिरर बैक्टीरिया बनाने की दिशा में प्रारंभिक कार्य शुरू कर चुके हैं, और हालांकि यह क्षमता अभी कम से कम एक दशक दूर है, लेकिन हाल के वर्षों में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है।

एक नए शोध पत्र में पाया गया है कि यदि ये जीव बनाए गए, तो वे मानव, पशु, पौधों और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकते हैं। मिरर बैक्टीरिया गंभीर जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं। मनुष्यों, जानवरों और पौधों में प्रतिरक्षा तंत्र इनवेडिंग बैक्टीरिया में पाए जाने वाले विशिष्ट मॉलिक्यूलर आकृतियों को पहचानने पर निर्भर करता है।

यदि ये आकृतियां प्रतिबिंबित (reflected) हो जाएं — जैसा कि मिरर बैक्टीरिया में होगा — तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इन्हें पहचानने में मुश्किल हो सकती है, और कई बुनियादी प्रतिरक्षा रक्षा तंत्र विफल हो सकते हैं, जिससे जीव संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।

मिरर मॉलिक्यूल्स का उपयोग कठिन और क्रोनिक बीमारियों के उपचार के लिए किया जा सकता है। मिरर माइक्रोब्स का उपयोग जैवउत्पादन सुविधाओं में किया जा सकता है।

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