भारत स्मॉल रिएक्टर (BSRs)

केंद्रीय बजट 2024-25 में परमाणु ऊर्जा के लिए भारत स्मॉल रिएक्टर (BSRs) स्थापित करने और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों में अनुसंधान और विकास के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी का प्रस्ताव किया गया है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का निर्माण करना है।

यह निर्णय 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम द्वारा शासित पिछली नीति से बदलाव का प्रतीक है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहली  बार परमाणु ऊर्जा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही।

भारत स्मॉल रिएक्टर  वास्तव में ‘स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों (Small modular reactors: SMRs) से संबंधित है, लेकिन यह इनसे थोड़ा अलग भी है।

तमिलनाडु के कलपक्कम में मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन में, भारत लगभग 40 वर्षों से 220 मेगावाट की दो परमाणु ऊर्जा केंद्रों का संचालन कर रहा है। इनमें से एक रिएक्टर की वर्तमान में मरम्मत चल रही है। वहीं दूसरे को “प्रथम भारत स्मॉल रिएक्टर (BSRs)” बनना है। इस रिएक्टर को अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्थाओं से युक्त करने के लिए फिर से तैयार किया जाएगा।

बता दें कि 300 मेगावाट से कम परमाणु ऊर्जा उत्पादन वाले रिएक्टर को ‘स्मॉल’ माना जाता है। इस कार्य का उद्देश्य इस “साबित” रिएक्टर को एक लघु परमाणु ऊर्जा फैसिलिटी में बदलना है।

भारत स्मॉल रिएक्टर एक परमाणु रिएक्टर है जो ऊर्जा का उत्पादन करने के लिए परमाणु विखंडन का उपयोग करता है, इसलिए सुरक्षा के लिए न्यूक्लियर रिएक्शन को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।

रिएक्शन  सही गति और तापमान पर हों, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष सामग्री और प्रणालियों का उपयोग किया जाता है। यह रिएक्टर को ज्यादा गर्म होने या एक बार में बहुत अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करने से रोकता है।

भारत स्मॉल रिएक्टरों को उनके उत्पादित ऊर्जा खपत  स्थलों के करीब स्थापित करने की योजना है, विशेष रूप से इस्पात निर्माण जैसी सुविधाओं के लिए, जिन्हें कैप्टिव बिजली उत्पादन की आवश्यकता होती है और उन्हें डीकार्बोनाइजेशन की भी अत्यंत आवश्यकता होती है।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) छोटे रिएक्टर होते हैं जिन्हें फैक्ट्री में बनाया जा सकता है, जबकि पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों, ऊर्जा उत्पादन वाली साइट पर ही बनाए जाते हैं।

उनकी प्रति यूनिट बिजली उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट (MW) तक की होती है, जो पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों की क्षमता का लगभग एक तिहाई है। लेकिन, एक मोबाइल और चुस्त तकनीक होने के कारण, उन्हें ऐसी जगहों पर भी स्थापित किया जा सकता है

जहां बड़े परमाणु रिएक्टर्स स्थापित नहीं किए जा सकते हैं। देश भर में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टरों को तैनात करना, विशेष रूप से बड़े परमाणु संयंत्रों के लिए उपयुक्त स्थानों पर, बड़ी मात्रा में कम कार्बन उत्सर्जन वाली बिजली का उत्पादन कर सकता है।  

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