Hollongapar Gibbon Sanctuary: वेस्टर्न हूलॉक गिब्बन के संरक्षण के लिए रेलवे ट्रैक का मार्ग बदलने का सुझाव

प्राइमेटोलॉजिस्ट्स ने वेस्टर्न हूलॉक गिब्बन (हूलॉक हूलॉक) को समर्पित पूर्वी असम में स्थित हॉलोंगापार गिब्बन अभयारण्य (Hollongapar Gibbon Sanctuary) को दो असमान भागों में विभाजित करने वाले 1.65 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक का मार्ग बदलने का सुझाव दिया है।

  • साइंस पत्रिका में प्रकाशित उनकी रिपोर्ट हॉलोंगापार गिब्बन अभयारण्य के भीतर ब्रॉड-गेज लाइन के पार हूलॉक गिब्बन की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए एक कृत्रिम कैनोपी ब्रिज को डिजाइन करने पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की रिपोर्ट के बाद आयी है।  
  • रेलवे ट्रैक की वजह से  गिब्बन परिवार दो हिस्सों में बंट गया है जो उनकी आबादी की आनुवंशिक परिवर्तनशीलता को प्रभावित करता है और अभयारण्य में उनके पहले से ही खतरे में पड़े अस्तित्व को और खतरे में डालता है।
  • एक कृत्रिम कैनोपी पुल (artificial canopy bridge) जानवरों के जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली मानव निर्मित संरचनाओं या परियोजनाओं में वृक्ष पर रहने वाले जानवरों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए एक संरक्षण पहल है।
  • अन्य सुझावों में मौजूदा ट्रैक के दोनों किनारों पर पुनर्वनीकरण, अभयारण्य और निकटवर्ती वन्यजीव गलियारों के भीतर ट्रेन की गति सीमा लागू करना, अभयारण्य के अलग-थलग ‘वन द्वीप’ (‘forest island) को पड़ोसी जंगलों से जोड़ना और सतत पर्यावरण-पर्यटन अकोमोडेशन स्थापित करना शामिल है।

हॉलोंगापार गिब्बन अभयारण्य

  • बता दें कि यह सैंक्चुअरी असम के जोरहाट जिले में 21 वर्ग किमी में फैला है। यहाँ दो दर्जन से अधिक समूहों में संगठित लगभग 125 हूलॉक गिब्बन (भारत का एकमात्र वानर/ape) का हैबिटेट है।
  • यही नहीं यह छह अन्य प्राइमेट प्रजातियों को भी आश्रय देता है।  ये हैं; असमिया मकाक, बंगाल स्लो लोरिस, कैप्ड लंगूर, उत्तरी सुअर-पूंछ वाला मकाक (northern pig-tailed macaque), रीसस मकाक और स्टंप-टेल्ड मकाक।

वेस्टर्न हूलॉक गिब्बन

  • वेस्टर्न हूलॉक गिब्बन/western hoolock gibbon ब्रह्मपुत्र (असम)-दिबांग (अरुणाचल प्रदेश) नदी प्रणाली के दक्षिणी तट पर ऊंचे पेड़ों वाले जंगलों में रहता है।
  • दुनिया की अन्य 19 गिब्बन प्रजातियों की तरह, इसे हैबिटेट के नुकसान और पर्यावास स्थान के विखंडन के कारण इंडेजर्ड के रूप में चिह्नित किया गया है।
  • चूंकि गिब्बन जंगल की ऊपरी कैनोपी में रहने वाले विशेष रूप से वृक्षवासी जानवर हैं, वे विशेष रूप से कैनोपी के गैप (पेड़ों के बीच गैप) के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए प्राइमेटोलॉजिस्ट्स ने हॉलोंगापार संरक्षित क्षेत्र में रेलवे ट्रैक के पार एक कृत्रिम कैनोपी बनाने की सलाह दी है।

 

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