अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024: प्रमुख विशेषताएं
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 3 सितंबर को सर्वसम्मति से ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून और संशोधन) 2024’ पारित किया।
यह विधेयक 9 अगस्त को आरजी कार मेडिकल सेंटर और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या से जुड़ी हाल की दुखद घटना के बाद हुए विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए पेश किया गया था।
अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024
प्रस्तावित विधेयक में बलात्कार के कुछ मामलों में दोषी लोगों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है। यदि पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह वेजिटेटिव स्टेज में में चली जाती है तो दोषी को मृत्यु दंड दिया जाएगा।
विधेयक में यह भी प्रावधान है कि बलात्कार के मामलों की जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर समाप्त हो जानी चाहिए। प्रावधानों के अनुसार, ऐसी घटनाओं की जांच के लिए महिला अधिकारी विशेष टास्क फोर्स का नेतृत्व करेंगी।
महिलाओं और बच्चों पर बलात्कार या अत्याचार के मामलों की जांच के लिए जिला स्तर पर एक विशेष टास्क फोर्स “अपराजिता टास्क फोर्स” का गठन किया जाएगा। निर्दिष्ट अपराधों की जांच के लिए इसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे।
जहां भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 में कहा गया है कि दुष्कर्म के दोषी को कम से कम 10 साल की कठोर कारावास की सजा दी जाएगी और यह आजीवन कारावास तक हो सकती है। बंगाल के अपराजिता विधेयक में इसे संशोधित करके जेल की अवधि को उस व्यक्ति के नेचुरल लाइफ के शेष समय और जुर्माना या मृत्यु तक बढ़ा दिया गया है।
अपराजिता विधेयक में BNS की धारा 66 में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है, यह दुष्कर्म की वजह से पीड़िता की मृत्यु होने या उसे ‘कोमा’ में ले जाने पर दोषी के लिए कठोर सजा निर्धारित करता है। BNS की धारा 66 में ऐसे अपराध के लिए 20 साल की जेल, आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान है। अपराजिता विधेयक में कहा गया है कि ऐसे दोषियों को सिर्फ मृत्युदंड मिलना चाहिए।
सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में सजा से संबंधित BNS की धारा 70 में संशोधन करते हुए बंगाल के कानून ने 20 साल की जेल की सजा के विकल्प को खत्म कर दिया है। अपराजिता विधेयक में सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों के लिए आजीवन कारावास और मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
अपराजिता विधेयक में यौन हिंसा की शिकार महिला की पहचान सार्वजनिक करने से संबंधित मामलों में तीन से पांच साल के बीच कारावास का प्रावधान है। BNS में ऐसे मामलों में दो साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है।