श्रीनगर में विश्व शिल्प परिषद (WCC) की 60वीं वर्षगांठ समारोह
नवंबर 2024 में श्रीनगर में विश्व शिल्प परिषद (World Crafts Council: WCC) की 60वीं वर्षगांठ समारोह आयोजित किया गया। श्रीनगर को ‘विश्व शिल्प शहर’ के रूप में मान्यता दिए जाने की पृष्ठभूमि में यह समारोह आयोजित किया गया।
इस समारोह के दौरान विश्व शिल्प परिषद के सदस्यों ने घोषणा की कि जम्मू और कश्मीर (J&K) में सदियों पुरानी प्रक्रियाओं से उत्पादित हस्तनिर्मित शिल्प को ‘शिल्प की प्रामाणिकता की मुहर’ सर्टिफिकेट दिया जायेगा।
इस पहल का उद्देश्य J&K से शिल्प के विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाणन की तत्काल आवश्यकता को पूरा करना है। यह गुणवत्ता और स्वामित्व को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
गौरतलब है कि विश्व शिल्प परिषद द्वारा श्रीनगर को 63वें विश्व शिल्प शहर (63rd World Craft City) के रूप में मान्यता दी गई है।
विश्व शिल्प परिषद
विश्व शिल्प परिषद AISBL की स्थापना 12 जून, 1964 को न्यूयॉर्क में प्रथम विश्व शिल्प परिषद महासभा में सुश्री ऐलीन ओसबोर्न वेंडरबिल्ट वेब, सुश्री मार्गरेट एम. पैच और श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय द्वारा की गई थी।
नवंबर 2012 में, विश्व शिल्प परिषद AISBL को औपचारिक रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय संघ के रूप में गठित किया गया। इसके उपनियमों के अनुसार, कार्यकाल के हर 4 साल बाद, इसकी प्रेसीडेंसी (मुख्यालय) बदल जाती है।
कार्यकाल (2021-2024) के लिए वर्तमान मुख्यालय कुवैत में स्थित है। अपनी स्थापना के बाद से, विश्व शिल्प परिषद AISBL कई वर्षों से परामर्शदात्री संस्थाके तहत यूनेस्को से संबद्ध है।