नॉन-मार्केट इकॉनमी दर्जा

वियतनाम ने संयुक्त राज्य अमेरिका को किये जाने वाले अपने निर्यात पर उच्च करों से बचने के लिए, राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन से  “गैर-बाजार अर्थव्यवस्था” यानी नॉन-मार्केट इकॉनमी (non-market economy) के दर्जे में  बदलाव कर उसे “बाजार अर्थव्यवस्था” का दर्जा देने को कहा है।

गौरतलब है कि वियतनाम अमेरिका के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को विफल करने में अमेरिका की मदद की है, लेकिन यह दो दशकों से अधिक समय से संयुक्त राज्य अमेरिका की गैर-बाजार अर्थव्यवस्थाओं की सूची में बना हुआ है।

कुल मिलाकर,  संयुक्त राज्य अमेरिका की गैर-बाजार अर्थव्यवस्था सूची में 12 देश शामिल हैं जिनमें  रूस, चीन के अलावा पूर्व सोवियत संघ के कुछ देश हैं।

अमेरिका कई कारकों के आधार पर किसी देश को नॉन-मार्केट इकॉनमी  के रूप में नामित करता है। ये करक हैं: यदि देश की मुद्रा परिवर्तनीय है या नहीं; मजदूरी दरों को लेकर श्रम और प्रबंधन के बीच मुक्त सौदेबाजी की व्यवस्था है या नहीं; निजी क्षेत्र के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित करने या  विदेशी निवेश की अनुमति है या नहीं; क्या उत्पादन के साधन राज्य के स्वामित्व में हैं; और क्या सरकार संसाधनों के आवंटन और मूल्य और उत्पादन निर्णयों को नियंत्रित करता है। इनमें मानवाधिकार जैसे कई अन्य कारक भी मौजूद हैं।

गैर-बाजार अर्थव्यवस्था लेबल अमेरिका को नामित देशों से आयातित वस्तुओं पर “एंटी-डंपिंग” शुल्क लगाने की अनुमति देता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में, डंपिंग तब होती है जब किसी देश से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की कीमतों को जानबूझकर उन्हीं वस्तुओं की घरेलू कीमतों से नीचे रखी जाती है, जिससे आयात करने वाले देश में उद्योगों को नुकसान होता है।

एंटी-डंपिंग शुल्क आयातित वस्तुओं के निर्यात मूल्य और उनके सामान्य मूल्य के बीच अंतर को समाप्त करने के लिए लगाया जाता है। 

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