राज्यसभा के सभापति को हटाने की प्रक्रिया

विपक्ष दल भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है। विपक्ष ने उन पर सदन को “पक्षपातपूर्ण तरीके” से चलाने का आरोप लगाया गया है। वैसे अगस्त 2024 के मानसून सत्र के दौरान भी  राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था। हालाँकि वह मामला आगे नहीं बढ़ सका। 

भारत के उपराष्ट्रपति का पद: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 64 के तहत, उपराष्ट्रपति “राज्य सभा का पदेन सभापति होगा”। सभापति को हटाना, प्रभावी रूप से भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने के समान है।

उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया (अनुच्छेद 67(B)): उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है, लेकिन वे राष्ट्रपति को पत्र देकर इस्तीफा दे सकते हैं या पद से हटाए जा सकते हैं।
हटाने की प्रक्रिया:

  • प्रस्ताव लाने के इरादे का 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है।
  • नोटिस अवधि के बाद, राज्यसभा प्रस्ताव पर बहस और मतदान करती है, इसके बाद लोकसभा में इस पर विचार किया जाता है।
  • राज्यसभा के सभी सदस्यों के बहुमत से यह प्रस्ताव पारित करना होता है।
  • फिर लोकसभा को उस प्रस्ताव को स्वीकृति करना पड़ता है।

राज्यसभा सभापति का पद:

उपराष्ट्रपति, पदेन रूप से राज्यसभा के सभापति होते हैं, इसलिए दोनों भूमिकाएं जुड़ी हुई हैं और हटाने की प्रक्रिया समान होती है।

राष्ट्रपति की महाभियोग प्रक्रिया (अनुच्छेद 61):

राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:

  • किसी भी सदन में दो-तिहाई बहुमत से आरोप प्रस्ताव पारित करना।
  • दूसरे सदन द्वारा आरोप की जांच या जांच कराना।
  • जांच के दौरान राष्ट्रपति को उपस्थित होने और अपना प्रतिनिधित्व करने का अधिकार होता है।
  • यदि आरोप सिद्ध हो जाता है, तो राष्ट्रपति को महाभियोग के माध्यम से हटाया जा सकता है।

उपराष्ट्रपति को हटाने और राष्ट्रपति के महाभियोग में अंतर:

  • राष्ट्रपति का महाभियोग अधिक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें जांच शामिल होती है।
  • उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए दोनों सदनों के साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करना होता है।
  • बहुमत की आवश्यकता और प्रक्रिया की जटिलता में दोनों के बीच भिन्नता होती है।
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