वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व बना मध्य प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व (Veerangana Durgavati Tiger Reserve) मध्य प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व बन गया है। अभी तक मध्य प्रदेश में छह बाघ अभ्यारण्य थे; कान्हा, बांधवगढ़, सतपुड़ा, पेंच, पन्ना और संजय-डुबरी।
मुख्य तथ्य
वन्य जीवों के संरक्षण को सुनिश्चित करने की दृष्टि से केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों को अधिसूचित किया है।
केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना को मंजूरी देते समय केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई शर्तों के अनुपालन में, सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैले नए बाघ अभयारण्य को अधिसूचित किया गया है।
बाघ अभयारण्य में लगभग 1,414 वर्ग किलोमीटर को कोर क्षेत्र में और 925.12 वर्ग किलोमीटर को बफर जोन में शामिल किया गया है।
अधिसूचित बफर क्षेत्र में पूर्व में अधिसूचित पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र (eco-sensitive zone) नौरादेही एवं वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण्य एवं आसपास के वन क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
चूँकि इस बाघ अभ्यारण्य के अंतर्गत कोई नया राजस्व क्षेत्र शामिल नहीं किया गया है, इसलिए इसके आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों पर कोई अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इस बाघ अभयारण्य सहित आसपास के क्षेत्रों को पहले से ही अभयारण्य या पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
देश में सर्वाधिक बाघों का हैबिटेट स्थल मध्य प्रदेश है। राज्य ने 2022 की जनगणना में “टाइगर स्टेट” का दर्जा बरकरार रखा।
रिपोर्ट ‘बाघों की स्थिति: भारत में सह-शिकारी और शिकार -2022’ (Status of Tigers: Co-predators & Prey in India-2022) के तहत जुलाई 2023 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में बाघों की सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश (785) में है, इसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) हैं।