वैशाली रमेशबाबू और प्रगनानंद-दुनिया की पहली ग्रैंडमास्टर भाई-बहन की जोड़ी
ग्रैंडमास्टर आर. प्रगनानंद (R Praggnanandhaa) की बहन वैशाली रमेशबाबू (Vaishali Rameshbabu) ने स्पेन में एललोब्रेगेट ओपन के दौरान अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) की 2500 रेटिंग को पार कर भारत की तीसरी महिला ग्रैंडमास्टर बन गईं।
इस उपलब्धि के साथ वैशाली और उनके छोटे भाई प्रगनानंद इतिहास में दुनिया की पहली ग्रैंडमास्टर भाई-बहन की जोड़ी (first-ever Grandmaster brother-sister duo in history) बन गए हैं।
इससे पहले भारत की कोनेरू हंपी और हरिका द्रोणावल्ली महिला ग्रैंडमास्टर रह चुकी हैं। 18 साल के प्रागनानंदा ने 12 साल की उम्र में जबकि वैशाली ने 22 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब पाया है।
ग्रैंडमास्टर के बारे में
ग्रैंडमास्टर एक शतरंज खिलाड़ी द्वारा प्राप्त की जाने वाली सर्वोच्च टाइटल या रैंकिंग है। ग्रैंडमास्टर टाइटल अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) द्वारा प्रदान की जाती है।
यह टाइटल खेल के सुपर-एलिट का बैज है, जो पृथ्वी पर सबसे बड़ी शतरंज प्रतिभा की पहचान है।
ग्रैंडमास्टर के अलावा, FIDE का योग्यता आयोग सात अन्य टाइटल्स को मान्यता देता है। ये हैं: इंटरनेशनल मास्टर (IM), FIDE मास्टर (FM), कैंडिडेट मास्टर (CM), वुमन ग्रैंडमास्टर (WGM), वुमन इंटरनेशनल मास्टर (WIM), वुमन FIDE मास्टर ( डब्ल्यूएफएम), और महिला कैंडिडेट मास्टर (डब्ल्यूसीएम)।
ग्रैंडमास्टर सहित सभी टाइटल्स जीवन भर के लिए वैध हैं, जब तक कि धोखाधड़ी जैसे दोषसिद्ध अपराध के लिए किसी खिलाड़ी से टाइटल छीन न ली जाए।
1950 में पहले बैच में 27 ग्रैंडमास्टर टाइटल्स प्रदान की गईं, जिनमें तत्कालीन विश्व चैंपियन यूएसएसआर के मिखाइल बोटविनिक भी शामिल थे।
वर्तमान में, FIDE उस खिलाड़ी को शतरंज का सर्वोच्च सम्मान ग्रांडमास्टर प्रदान करता है जो 2,500 की FIDE क्लासिकल या स्टैण्डर्ड रेटिंग, साथ ही तीन ग्रैंडमास्टर मानदंड हासिल करने में सक्षम है।
विश्वनाथन आनंद 1988 में भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने।