अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने भारत को करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट से हटाया

संयुक्त राज्य अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने अपनी मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring List) से इटली, मैक्सिको, थाईलैंड और वियतनाम के साथ भारत को हटा दिया है।

अमेरिकी कांग्रेस को सौंपे अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने कहा कि जिन देशों को सूची से हटा दिया गया है, उन्होंने लगातार दो रिपोर्टों के लिए तीन मानदंडों में से एक को पूरा किया है।

भारत को 2019 में अमेरिका द्वारा मुद्रा मैनिपुलेटर वॉचलिस्ट से हटा दिया गया था, लेकिन इसे दिसंबर 2020 में फिर से सूची में डाल दिया गया था। वॉच लिस्ट में आमतौर पर वे देश शामिल होते हैं जिनके बारे में अमेरिका को लगता है कि वे अनुचित व्यापार लाभ हासिल करने के लिए अपने विदेशी मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

हालांकि भारत अक्सर अमेरिका के इस कदम की आलोचना करता रहा है और कहता रहा है कि यह तर्कहीन कदम है और देश कभी भी करेंसी बाजार में अनुचित हस्तक्षेप नहीं करता।

मुद्रा निगरानी सूची में डाले जाने के लिए तीन मानदंड

बता दें कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग आमतौर पर एक व्यापारिक भागीदार को अपनी निगरानी सूची में तभी रखता है यदि निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है:

  • उस देश ने मुद्रा बाजार में 2% से अधिक स्तर तक हस्तक्षेप किया है।
  • यदि उस देश का एक वर्ष में चालू खाता अधिशेष (current account surplus) उसकी GDP की तुलना में निर्धारित स्तर से ऊपर रहता है।
  • यदि विदेशी मुद्रा की इसकी शुद्ध खरीद भी एक वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के 2% से अधिक होती है।

चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान सात अर्थव्यवस्थाएं हैं जो वर्तमान मुद्रा निगरानी सूची का हिस्सा हैं।

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