कला और संस्कृति के लिए सार्वजनिक निधि आवंटित करना कठिन है: केंद्र सरकार
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कहा है क़ी स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन जैसे प्राथमिक ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में उच्च असमानता को देखते हुए, भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अपने पब्लिक फण्ड का एक बड़ा हिस्सा आवंटित करना उचित” नहीं हो सकता है।
परिवहन पर्यटन और संस्कृति पर स्थायी समिति रिपोर्ट
बता दें कि एक परिवहन पर्यटन और संस्कृति पर संस्कृति विभाग की स्थायी समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में टिपण्णी की गयी थी कि संस्कृति मंत्रालय का आवंटन इस साल कुल बजट का सिर्फ 0.075% था, जो कि चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से काफी कम है।
इन देशों में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उनके बजट का 2% -5% आवंटित है।
हालांकि सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि इन देशों में कला और संस्कृति पर खर्च की जाने वाली अधिकांश राशि गैर-सरकारी स्रोतों से प्राप्त होती है जो भारत में नहीं है।
यह भी कि कोविड-महामारी की अवधि को यदि छोड़ दें, जब सामाजिक क्षेत्र के अन्य मंत्रालयों को प्राथमिकता दी गई थी, कई वर्षों से संस्कृति मंत्रालय लगातार अपने बजटीय परिव्यय को बढ़ाने में सक्षम रहा है।
उन्होंने स्मारक मित्र योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि मंत्रालय कला और संस्कृति के प्रचार और संरक्षण के क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए अभिनव तरीकों का भी प्रयास कर रहा है। इस योजना के तहत, सरकार का लक्ष्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के नियंत्रण में लगभग 1,000 स्मारकों को उनके रखरखाव के लिए निजी क्षेत्र को सौंपना है।
सरकार ने तर्क दिया है कि संस्कृति एक ऐसा क्षेत्र होना चाहिए जहां व्यय का एक बड़ा हिस्सा गैर-सरकारी स्रोतों से प्राप्त करने की आवश्यकता हो और इसलिए मंत्रालय कला और संस्कृति के सभी रूपों, सभी के समग्र प्रचार, संरक्षण और संवर्धन में भाग लेने के लिए अपनी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गैर-सरकारी और स्वैच्छिक संगठनों का समर्थन कर रहा है।
वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में विभिन्न प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों या गतिविधियों के लिए संस्कृति मंत्रालय को राजस्व के तहत 3,399.65 करोड़ रुपये और पूंजीगत मदों के तहत 285.40 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
‘ग्लोबल एंगेजमेंट एंड इंटरनेशनल कोऑपरेशन’ के तहत 25.55 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन भी है, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से भारत के जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता से संबंधित गतिविधियों के लिए किया जाना है।