नमामि गंगे को दुनिया की 10 शीर्ष वर्ल्ड रेस्टोरेशन फ्लैगशिप पहलों के रूप में मान्यता दी गई

संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने भारत की पवित्र नदी गंगा को फिर से जीवंत करने के लिए नमामि गंगे पहल (Namami Gange Initiativ) को प्राकृतिक दुनिया को पुनर्जीवित करने वाली विश्व की 10 शीर्ष कायाकल्प फ्लैगशिप पहलों (World Restoration Flagships) में से एक के रूप में मान्यता दी है।

नमामि गंगे के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने 14 दिसंबर, 2022 को वर्ल्ड रेस्टोरेशन डे (World Restoration Day) के अवसर पर मॉन्ट्रियल (कनाडा) में जैव विविधता पर कन्वेंशन के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (15th Conference of Parties (COP15) to the Convention on Biodiversity) में आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार प्राप्त किया।

नमामि गंगे को दुनिया के 70 देशों की 150 से अधिक ऐसी पहलों में से चुना गया है। इन पहलों को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा समन्वित एक वैश्विक आंदोलन, संयुक्त राष्ट्र ईकोसिस्टम रेस्टोरेशन दशक (United Nations Decade on Ecosystem Restoration) बैनर के तहत चयन किया गया था।

इसे पूरे विश्व में प्राकृतिक स्थानों के क्षरण की रोकथाम और रेस्टोरेशन के लिए तैयार किया गया है। नमामि गंगे सहित सभी मान्यता प्राप्त पहलें अब संयुक्त राष्ट्र की सहायता, वित्त पोषण या तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त करने की पात्र होंगी।

नमामि गंगे

प्रधानमंत्री ने गंगा नदी को फिर से जीवंत करने की आवश्यकता को मान्यता देते हुए वर्ष 2014 में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया था और गंगा नदी की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए 5 बिलियन डॉलर से अधिक की प्रतिबद्धता जताई थी। यह जल शक्ति मंत्रालय की पहल है।

गंगा भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत की 40 प्रतिशत आबादी, वनस्पतियों और जीवों की 2500 प्रजातियों और 8.61 बिलियन वर्ग किमी बेसिन का घर है।

यह बेसिन 520 मिलियन से अधिक लोगों का घर भी है।

गंगा आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। मिशन के तहत कोई भी बिना उपचार वाला जल-सीवेज या औद्योगिक अपशिष्ट गंगा नदी में बहने से रोका जाता है।

प्रतिदिन 5000 मिलियन लीटर से अधिक उपचार क्षमता वाले 176 एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है।

मिशन के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप गंगा बेसिन में सीवेज और औद्योगिक अपशिष्टों के उपचार की क्षमता में काफी वृद्धि हुई है।

गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता और जैव विविधता में सुधार हुआ, जिससे डॉल्फ़िन, कछुओं, ऊदबिलाव, घड़ियाल और हिल्सा जैसी मछलियों की आबादी में बढ़ोतरी हुई और बेसिन के 30,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में वनरोपण किया गया है।

नमामि गंगे का एक अभिन्न घटक अर्थ गंगा भी है, जो इस नदी के किनारे रहने वाले लोगों के सामाजिक, आर्थिक जुड़ाव को मजबूत बनाती है। इसने इस मिशन को जन-आंदोलन में बदल दिया है।

एचएएम और वन सिटी वन ऑपरेटर जैसी कई नवाचारी परियोजना प्रबंधन प्रथाओं के सफलतापूर्वक विकसित होने के साथ-साथ, NMCS देश और दुनिया में अन्य नदियों की सफाई के लिए भी रोड मैप तैयार कर रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में स्वयं राष्ट्रीय गंगा परिषद द्वारा इसकी सूक्ष्मता से निगरानी की जाती है और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत नियमित रूप से इसकी समीक्षा करते हैं।

युवा गंगा प्रहरी, गंगा दूत, गंगा क्वेस्ट आदि जैसे प्रशिक्षित, स्वैच्छिक कैडरों के माध्यम से विभिन्न गतिविधियों में युवा शामिल हो रहे हैं। इन युवाओं ने गंगा नदी की जैव विविधता की सुरक्षा के लिए एक जुनून के माध्यम से हमारे साथ शामिल होने का निर्णय लिया है।

गंगा बेसिन में इन स्वयंसेवकों द्वारा डॉल्फ़िन का बचाव करना ऐसा ही मामला है, जिसके परिणामस्वरूप नदी में जलीय प्रजातियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

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