यूनाइटेड नेशंस परमानेंट फोरम ऑन इंडीजीनस इश्यूज़ (UNPFII)
यूनाइटेड नेशंस परमानेंट फ़ोरम ऑन इंडीजीनस इश्यूज़ (United Nations Permanent Forum on Indigenous Issues: UNPFII) में भारत के प्रतिनिधि ने कहा है कि ‘मूलवासी लोगों’ (indigenous people) की अवधारणा भारतीय संदर्भ में लागू नहीं होती है।
मूलवासी लोगों का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन UNPFII न्यूयॉर्क शहर में 17-28 अप्रैल तक आयोजित किया गया।
भारत के प्रतिनिधि ने UNPFII के 22वें सत्र में सामान्य चर्चा के दौरान कहा था कि मूलवासी लोगों का अधिकारों का मुद्दा उन देशों में लोगों से संबंधित है, जिन्हें मूलवासी माना जाता है, जो उस देश या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाली आबादी के वंशज हैं। भारतीय संदर्भ में यह लागू नहीं होता।
भारतीय प्रतिनिधि ने कहा कि 1989 के अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कन्वेंशन-169 में ठीक यही परिभाषा इस्तेमाल की गई थी।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 2007 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित मूलवासी लोगों के अधिकारों की अंतर्राष्ट्रीय घोषणा (International Declaration of the Rights of Indigenous Peoples) की पुष्टि की थी।
यूनाइटेड नेशंस परमानेंट फोरम ऑन इंडीजीनस इश्यूज़ (UNPFII)
यूनाइटेड नेशंस परमानेंट फोरम ऑन इंडीजीनस इश्यूज़ (UNPFII) UN-आर्थिक और सामाजिक परिषद का एक सलाहकार निकाय है। इसे 28 जुलाई 2000 को संकल्प 2000/22 द्वारा स्थापित किया गया था।
इस फोरम को मूलवासी लोगों के आर्थिक और सामाजिक विकास, संस्कृति, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव अधिकार से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने का अधिकार है।
यह मंच संयुक्त राष्ट्र के उन तीन निकायों में से एक है जिन्हें विशेष रूप से मूलवासी लोगों के मुद्दों से निपटने के लिए अधिकृत किया गया है। दो अन्य निकाय हैं; मूलवासी लोगों के अधिकारों पर विशेषज्ञ तंत्र और मूलवासी लोगों के विशेष रैपोर्टेयर अधिकार (Special Rapporteur Rights of Indigenous Peoples)।
स्थायी फोरम में सोलह स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल हैं, जो अपनी व्यक्तिगत क्षमता में कार्य करते हैं, जो सदस्यों के रूप में तीन साल की अवधि के लिए काम करते हैं और एक अतिरिक्त कार्यकाल के लिए फिर से चुने या फिर से नियुक्त किए जा सकते हैं।