केंद्र और राज्य सरकारें “हाथ से मैला उठाने” की प्रथा के पूरी तरह से उन्मूलन के प्रति कर्तव्यबद्ध हैं: सुप्रीम कोर्ट

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें “हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013” (Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act, 2013) के कड़े कार्यान्वयन के माध्यम से मैन्युअल स्कैवेंजिंग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए बाध्य हैं ।

साथ ही न्यायालय ने सीवर में होने वाली मौतों के लिए देय मुआवजे को पहले के ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹30 लाख कर दिया। अदालत ने स्थायी दिव्यांगता से पीड़ित लोगों के लिए मुआवजा बढाकर 20 लाख रुपये और अन्य चोटों के लिए 10 लाख रुपये कर दिए।

न्यायालय के मुख्य निर्देश

अदालत ने बलराम सिंह द्वारा 2020 में दायर याचिका पर न्यायिक नोटिस लिया था। याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि लोग अभी भी सीवरों में मर रहे हैं, हालांकि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रोजगार और शुष्क शौचालयों के निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993 और मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले सफाई कर्मचारी आंदोलन और अन्य बनाम भारत संघ मामले में अपने फैसले में प्रतिबंध को दोहराया था और पारंपरिक और अन्यथा इस कुप्रथा में लगे लोगों के पुनर्वास का निर्देश दिया था।

सरकार की प्रमुख पहलें

हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013, जो 06 दिसंबर 2013 से लागू हुआ है, मैनुअल स्कैवेंजिंग और सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक तरीके से सफाई पर प्रतिबंध लगाता है।

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (NSKFDC) की स्वच्छता उद्यमी योजना के तहत, सफाई कर्मचारियों, मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके आश्रितों और शहरी स्थानीय निकायों और सफाई के लिए जिम्मेदार अन्य एजेंसियों को सभी सफाई कार्यों के पूर्ण मशीनीकरण के लिए स्वच्छता संबंधी उपकरणों/वाहनों की खरीद के लिए रियायती ऋण प्रदान किए जाते हैं।

मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिए केंद्रीय क्षेत्र स्व-रोज़गार योजना (SRMS) के तहत मैनुअल स्कैवेंजर्स के अलावा, सफाई कर्मचारियों और उनके आश्रितों को सीवर और सेप्टिक टैंक की मशीनीकृत सफाई के लिए उपकरणों / वाहनों की खरीद के लिए 5.00 लाख रुपये तक की पूंजी सब्सिडी भी प्रदान की जाती है।

विशेष रूप से खतरनाक सफाई से निपटने के लिए, सरकार ने ‘नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सैनिटेशन इकोसिस्टम’ (नमस्ते/NAMASTE) नामक एक नई योजना चलायी है। इसका उद्देश्य है: मैनुअल स्केवेंजर्स और सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक तरीके से सफाई में लगे व्यक्तियों का औपचारिकीकरण और पुनर्वास। प्रशिक्षित और प्रमाणित स्वच्छता कार्यकर्ताओं के माध्यम से सीवर और सेप्टिक टैंकों की सुरक्षित और मशीनीकृत सफाई को बढ़ावा देना।

सभी चिन्हित और पात्र 58098 मैनुअल स्कैवेंजरों को प्रति परिवार 40,000/- रुपये की एकमुश्त नकद सहायता प्रदान की गई है।

समाधान

अकेले रोबोटिक मशीनों की शुरूआत से समस्या का समाधान नहीं हो सकता है और अधिक तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता है। ऐसे अभियानों में लगे लोगों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।

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