पोर्ट ब्लेयर अब ‘श्री विजय पुरम’ के नाम से जाना जाएगा

केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर को अब ‘श्री विजय पुरम’ (Sri Vijaya Puram) के नाम से जाना जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पोर्ट ब्लेयर नाम औपनिवेशिक विरासत से जुडी हुई है, और श्री विजय पुरम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हासिल की गई जीत और इसमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की अद्वितीय भूमिका का प्रतीक है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह द्वीपीय क्षेत्र जो कभी चोल साम्राज्य के नौसैनिक अड्डे के रूप में कार्य करता था, अब भारत की रणनीतिक और विकास आकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण आधार बनने की ओर अग्रसर है।

यह वह स्थान भी है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार तिरंगा फहराया था और सेलुलर जेल भी यहीं है जिसमें वीर सावरकर जी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया था। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, जिसे पहले रॉस द्वीप के रूप में जाना जाता था, पर बनने वाले नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का अनावरण किया था।

बता दें कि पोर्ट ब्लेयर शहर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रवेश बिंदु है। इसका नाम आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था, जो एक नौसेना सर्वेक्षक और बॉम्बे मरीन में लेफ्टिनेंट थे। ब्लेयर अंडमान द्वीप समूह का गहन सर्वेक्षण करने वाले पहले अधिकारी थे।

19वीं शताब्दी के अंत में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के मजबूत होने के साथ ही 1906 में यहां एक विशाल सेलुलर जेल की स्थापना की गई थी। काला पानी के नाम से लोकप्रिय इस जेल में वीर दामोदर सावरकर सहित कई स्वतंत्रता सेनानियों को कैद रखा गया था।

कुछ ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि अंडमान द्वीप समूह का इस्तेमाल 11वीं शताब्दी के चोल सम्राट राजेंद्र प्रथम ने श्रीविजय (वर्तमान इंडोनेशिया में) पर हमला करने के लिए एक रणनीतिक नौसैनिक अड्डे के रूप में किया था।

तंजावुर से1050 ई. के मिले एक शिलालेख के अनुसार, चोलों ने इस द्वीप को मा-नक्कावरम भूमि (Ma-Nakkavaram) के रूप में संदर्भित किया, जिसके कारण संभवतः अंग्रेजों के अधीन इसका आधुनिक नाम निकोबार पड़ा।

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