मंत्रिमंडल ने श्रीहरिकोटा में तीसरे लॉन्च पैड (TLP) की स्थापना को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16 जनवरी, 2025 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में तीसरे लॉन्च पैड (TLP) की स्थापना को मंजूरी दी। यह पहल भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रक्षेपण क्षमताओं को अपग्रेड करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
तीसरा लॉन्च पैड (TLP):
- नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल्स (NGLVs) के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह दूसरे लॉन्च पैड (SLP) के लिए स्टैंडबाय के रूप में काम करेगा।
- भविष्य के भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों, जैसे गगनयान और डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए सहायता प्रदान करेगा।
- सेमी-क्रायोजेनिक चरणों और NGLVs के बड़े कॉन्फ़िगरेशन वाले LVM3 वाहनों को संभालने में सक्षम।
- अधिकतम उद्योग भागीदारी के साथ साकार किया गया, जिसमें ISRO के मौजूदा लॉन्च पैड बुनियादी ढांचे का उपयोग किया जाएगा।
श्रीहरिकोटा में मौजूदा लॉन्च अवसंरचना:
पहला लॉन्च पैड (FLP):
- 30 वर्षों से संचालन में।
- मुख्य रूप से PSLV और SSLV मिशनों के लिए उपयोग किया जाता है।
दूसरा लॉन्च पैड (SLP):
- लगभग 20 वर्षों से सक्रिय।
- GSLV और LVM3 मिशनों का समर्थन करता है और PSLV के लिए बैकअप के रूप में कार्य करता है।
- चंद्रयान-3 जैसे महत्वपूर्ण मिशनों में भूमिका निभाई और गगनयान मिशनों के लिए मानव-रेटेड LVM3 लॉन्च की तैयारी कर रहा है।
नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV)
सूर्या रॉकेट” के रूप में जाना जाने वाला यह एक नई पीढ़ी का मॉड्यूलर रॉकेट है, जो विकासाधीन है।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 18 सितंबर, 2024 को अनुमोदित।
- विकास समय: 96 महीने (8 वर्ष), 2032 तक पूरा होने की उम्मीद।
- ऊंचाई: 93 मीटर।
- थोक निर्माण और मॉड्यूलरिटी के लिए डिज़ाइन किया गया।
- सेमी-क्रायोजेनिक प्रोपल्शन:
- ईंधन: परिष्कृत केरोसिन।
- ऑक्सीडाइज़र: तरल ऑक्सीजन (LOX)।
भारत के भविष्य के मुख्य मिशन:
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) के लिए समर्थन (2035 तक)।
- चंद्रमा पर मानवयुक्त लैंडिंग (2040 तक)।
- उपग्रहों का प्रक्षेपण, गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण और कार्गो परिवहन।
भारत के वर्तमान लॉन्च व्हीकल:
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV)।
- भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV)।
- छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV)।
- भू-स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान Mk-III (LVM3)।