यूनाइटेड किंगडम की सुप्रीम कोर्ट ने यूके-रवांडा शरणार्थी योजना को गैरकानूनी करार दिया

यूनाइटेड किंगडम की सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि यूनाइटेड किंगडम में शरण चाहने वालों को रवांडा भेजने की योजना को उचित नहीं ठहराया है। कोर्ट के मुताबिक इस योजना के लिए रवांडा एक सुरक्षित तीसरा देश नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के अनुसार, यह मानवाधिकार संगठनों के लिए एक बड़ी जीत है और यह निर्णय सुरक्षा की तलाश में ब्रिटेन आए अनगिनत लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ऑफ अपील से सहमति व्यक्त की कि यह मानने के लिए पर्याप्त आधार हैं कि रवांडा में भेजे गए शरण चाहने वालों को अपने गृह देश में लौटने का वास्तविक खतरे का सामना करना पड़ेगा जहां उन्हें दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ सकता है, जिसे “रिफ़ॉलमेंट” (refoulement) के रूप में जाना जाता है।

UNHCR का मानना है कि ब्रिटेन की यह स्कीम अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कानून के तहत नॉन-रिफ़ॉलमेंट के उसके दायित्वों का उल्लंघन है।

रिफ़ाउलमेंट प्रवासियों को उनके असुरक्षित घरेलू देशों में वापस भेजने के लिए मजबूर करना है।

अप्रैल 2022 में, तत्कालीन यूके पीएम बोरिस जॉनसन ने रवांडा सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत यूके में कुछ शरण चाहने वालों को रवांडा भेजने की योजना थी।

जॉनसन ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा था कि यह मानव तस्करी से “अनगिनत जिंदगियों को बचाएगा”।

योजना के तहत, ट्रकों या नावों में बिना दस्तावेज वाले स्टोववे के रूप में ब्रिटेन आने वाले लोगों को 6,400 किमी दूर रवांडा भेजा जाता।

वहां पहुंचने पर, अफ्रीकी राष्ट्र में अंतिम पुनर्वास के लिए उनकी समीक्षा की जाती।

error: Content is protected !!