Project Rhisotope: दक्षिण अफ्रीका में गैंडों को बचाने की कवायद
हाल ही में, दक्षिण अफ़्रीकी वैज्ञानिकों ने गैंडों के अवैध शिकार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से जीवित गैंडे के सींगों में रेडियोधर्मी पदार्थ इंजेक्ट किया। इससे सीमा चौकियों पर अवैध शिकार करके निकाले गए सींगों को आसानी से पता लगाया जा सके।
इस प्रोजेक्ट को ‘राइज़ोटोप’ (Rhisotope) नाम दिया गया है। इसके तहत कुल बीस जीवित गैंडे को रेडियोधर्मी पदार्थ की एक खुराक दी जाएगी।
यह रेडियोधर्मी पदार्थ सींग को बेकार कर देगा और मानव उपभोग के लिए जहरीला बना देगा।
इसका उद्देश्य अंतिम उपयोगकर्ताओं की नज़र में गैंडे के सींग की वैल्यू कम करना है, साथ ही सींगों को पहचानना आसान बनाना है क्योंकि उन्हें सीमा पार तस्करी के लिए भेजा जाता है।
गैंडे के सींगों की ब्लैक मार्केट में बहुत मांग होती है, जहाँ वजन के हिसाब से उनकी कीमत सोने और कोकेन के बराबर होती है।
बता दें कि दक्षिण अफ़्रीका में दुनिया की सबसे बड़ी गैंडों की आबादी प्राप्त होती है, जहाँ दुनिया के 16,800 व्हाइट और 6,500 ब्लैक राइनो में से लगभग 80% और 33% क्रमशः रहते हैं।