त्र्यंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar temple) में प्रवेश विवाद
महाराष्ट्र सरकार ने 13 मई, 2023 को नासिक में त्र्यंबकेश्वर मंदिर (Trimbakeshwar temple) में एक अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ युवकों द्वारा जबरन प्रवेश करने के कथित प्रयास की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। हालांकि युवकों का कहना था कि चादर चढ़ाने की यह परंपरा कई दशकों से निभाया जाता रहा है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के बारे में
त्र्यंबकेश्वर शहर गोदावरी नदी के स्रोत पर स्थित एक प्राचीन हिंदू तीर्थ केंद्र है। यह मंदिर “ब्रह्मगिरी” पर्वत की तलहटी में स्थित है।
त्र्यंबकेश्वर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां स्थित ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता यह है कि मंदिर में लिंग त्रिदेव, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के तीन मुखों के रूप में है। दरअसल “त्र्यंबक” शब्द त्रिमूर्ति (त्रिदेव): भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश को इंगित करता है। यह मंदिर काले पत्थर से बना है।
इसे 1755-1786 ई. में श्री नानासाहेब पेशवा (पेशवा बालाजी बाजी राव) द्वारा बनवाया गया था।
इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक “हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब” के अनुसार मुगल बादशाह औरंगजेब ने सन 1690 में नासिक के त्रयंबकेश्वर मंदिर के अंदर मौजूद शिवलिंग को तुड़वा दिया था। मंदिर को नुकसान पंहुचाने के अलावा मंदिर के ऊपर मस्जिद का गुंबद भी बना दिया था। जब 1751 में मराठों का फिर से नासिक पर कब्जा हो गया, उसके बाद इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया।