टोयोटा लॉन्च करेगी भारत की पहली ‘फ्लेक्स फ्यूल’ (flex fuel) कार
टोयोटा द्वारा भारत की पहली ‘फ्लेक्स फ्यूल’ (flex fuel) कार का अनावरण 28 सितंबर 2022 को किया जाएगा। यह कार एक या कई ईंधन प्रकारों पर चल सकती है और परिवहन के लिए आयातित जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से एक नए पायलट के हिस्से के रूप में विकसित की गई है।
इस पायलट योजना को वैकल्पिक ईंधन को अपनाने के लिए कार निर्माताओं के लिए सरकार के प्रोत्साहन के हिस्से के रूप में शुरू किया गया है।
सबसे अधिक संभावना है कि फ्लेक्स ईंधन तकनीक से लैस केमरी कार (Camry) एक राष्ट्रव्यापी पायलट का हिस्सा होगा जो ब्राजील, कनाडा और अमेरिका जैसे अन्य देशों में चलायी जा रही है।
फ्लेक्स फ्यूल और इसके फायदे-नुकसान
एक फ्लेक्स ईंधन, या फ्लेक्सिबल फ्यूल (flexible fuel) वाहन में एक आंतरिक दहन इंजन (internal combustion engine: ICE) होता है, लेकिन एक नियमित पेट्रोल या डीजल वाहन के विपरीत, यह एक से अधिक प्रकार के ईंधन, या यहां तक कि कई ईंधन के मिश्रण पर भी चल सकता है।
सबसे आम वर्सन पेट्रोल और इथेनॉल या मेथनॉल के मिश्रण का उपयोग करते हैं, लेकिन ये इंजन 100 प्रतिशत पेट्रोल या इथेनॉल पर भी चल सकते हैं।
यह इंजन को एक फ्यूल मिक्स सेंसर और एक इंजन कंट्रोल मॉड्यूल (ECM) प्रोग्रामिंग से लैस करके संभव बनाया गया है।
फ्लेक्स फ्यूल, वाहनों में एक ईंधन प्रणाली होती है, और अधिकांश घटक वही होते हैं जो एक पारंपरिक पेट्रोल कार में पाए जाते हैं।
इथेनॉल या मेथनॉल में विभिन्न रासायनिक गुणों और ऊर्जा सामग्री को समायोजित करने के लिए कुछ विशेष इथेनॉल-संगत घटकों की आवश्यकता होती है, जैसे कि ईंधन पंप और ईंधन इंजेक्शन प्रणाली में संशोधन।
इथेनॉल की उच्च ऑक्सीजन कंटेंट को समायोजित करने के लिए ECM को भी कैलिब्रेट किया जाता है।
फ्लेक्स फ्यूल का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इथेनॉल ब्लेंडिंग का उपयोग कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर और कार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषकों को तेजी से कम करता है।
एक और स्पष्ट लाभ यह है कि ईंधन ब्लेंडिंग से वाहनों को ईंधन देने के लिए तेल आयात में कटौती करने में मदद मिलेगी।
नुकसान एफिशिएंसी के स्तर पर है। एक फ्लेक्स ईंधन कार आमतौर पर फ्यूल एफिशिएंसी आंशिक तौर पर कमजोर सिद्ध होती है।
इथेनॉल ब्लेंडिंग के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि गन्ना जैसी फसलों को उगाने के लिए आमतौर पर बहुत अधिक पानी की जरुरत होती हैं। नीति आयोग की एक रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि 2019-20 में, देश में उत्पादित कुल इथेनॉल का 90 प्रतिशत से अधिक अकेले गन्ने से आया। जाहिर है जल संकट के स्थिति में गन्ना की खेती पर असर पड़ सकता है।
भारत में प्रयास
भारत में पहले से ही लगभग 10 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल का कार्यक्रम चलाया जा रहा हिअ, और पिछले साल, सरकार ने 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (E20) का उत्पादन करने के लिए अपने लक्ष्य को दो साल एडवांस कर इसे 2025 से घटाकर 2023 कर दिया है।