T-113 बाघ को रणथंभौर से सरिस्का रिजर्व में स्थानांतरित किया गया
सरिस्का में बाघों की आबादी बढ़ाने के उद्देश्य से 16 अक्टूबर को रणथंभौर टाइगर रिजर्व (RTR) से सरिस्का टाइगर रिजर्व (STR) में T-113 नामक एक बाघ को स्थानांतरित कर दिया गया।
स्थानांतरण राष्ट्रीय संरक्षण बाघ प्राधिकरण से अनुमति लेने के बाद किया गया था।
यह स्थानांतरण ऐसे समय में हुआ है जब सरिस्का में अधिकांश नर और मादा बाघ वृद्ध हो चुके हैं।
वर्ष 2008 में भारत का पहला बाघ पुनर्वास (Reintroduction) भी सरिस्का में किया गया था। वर्तमान में, इस रिजर्व में 24 बाघ हैं, जिनमें 10 मादा, सात नर और सात शावक शामिल हैं।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (RTR)
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambore Tiger Reserve: RTR) अरावली और विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं के जंक्शन पर स्थित है।
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान को प्रारंभ में भारत सरकार द्वारा 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था।
1973 में, इसे भारत में प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया था।
1 नवंबर, 1980 को रणथंभौर को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था, जबकि इसके बगल में स्थित जंगलों का नाम सवाई मान सिंह अभयारण्य और कैला देवी अभयारण्य रखा गया था।
रणथंभौर किला, जोगी महल, राजबाग खंडहर रणथंभौर के अंदर पाए जाते हैं। कई सुरम्य झीलें जैसे पदम तालाब, मलिक तालाब, राज बाग तालाब और अन्य इस जंगल के लैंडस्केप को सुंदरता प्रदान करते हैं।
पार्क दोनों तरफ से चंबल नदी और बनास नदी से घिरा हुआ है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व (STR)
अलवर में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve: STR) अरावली पहाड़ियों की गोद में बसा है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व में एक सुनसान पहाड़ पर नीलकंठ मंदिर है। छठी शताब्दी में बने इस मंदिर में कामुक मूर्तियों का संग्रह है।
मंदिर परिसर के अंदर स्थित एक अन्य मंदिर पांडुपोल हनुमान मंदिर है।