Actinium-225: यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण कैंसर उपचार में उपयोगी आइसोटोप का आयात हुई बाधित

यूक्रेन में युद्ध ने  कैंसर उपचार में उपयोग किए जाने वाले एक प्रमुख रेडियोधर्मी आइसोटोप एक्टिनियम-225 (Actinium-225-) के आयात को रोक दिया है।

न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक साल से अधिक समय से भारत में एक्टिनियम-225 का कोई आयात नहीं हुआ है, जो जर्मनी के रास्ते रूस से आता था।

एक्टिनियम भारत में उपलब्ध नहीं है।

रूस दुनिया के रेडियोन्यूक्लाइड (radionuclides) का हब है। रेडियोन्यूक्लाइड, जिन्हें रेडियोधर्मी पदार्थ भी कहा जाता है, रेडिएशन उत्सर्जित करते हैं क्योंकि उनके परमाणु नाभिक में अतिरिक्त न्यूट्रॉन या प्रोटॉन होते हैं।

 रूस को एक्टिनियम कच्चा माल तो मिल गया लेकिन  इसे अंतिम उत्पाद नहीं बनाता। इसे जर्मनी  खरीदता है और वहां से इसे भारत सहित अन्य सभी देशों में भेजा जाता है।

यद्यपि एक्टिनियम-225 प्रकृति में पाया जाता है, लेकिन इसे अन्य आइसोटोप से अलग करने और बड़ी शुद्ध मात्रा प्राप्त करने के लिए नाभिकीय केंद्रों और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है।

हालांकिम  एक्टिनियम-225 उत्सर्जन मानव कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन वे हमारे कुछ सबसे घातक कैंसरों को भी मार सकते हैं।

एक्टिनियम-225 10 दिनों के हाफ लाइफ  के साथ फ्रांसियम-221 में अल्फा क्षय से गुजरता है। इस कारण से, इस आइसोटोप का चिकित्सा में उपयोग के लिए एक आदर्श पदार्थ बनाता है।

अल्फा-उत्सर्जक आइसोटोप अपनी शार्ट पाथ लेंथ और रेडिएशन के हाई एनर्जी ट्रांसफर के कारण कैंसर के उपचार में उपयोगी हैं।

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