एंजेल निवेशकों (Angel investors) से संबंधित कर नियमों में बदलावों की घोषणा

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 19 मई को एंजेल निवेशकों (angel investors) से संबंधित कर नियमों में प्रस्तावित बदलावों की घोषणा की है।

‘एंजेल टैक्स’ टर्म का उपयोग उस कर का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो नॉन-लिस्टेड कंपनियों द्वारा ऑफ-मार्केट लेनदेन में शेयर जारी करके जुटाई गई धनराशि पर भुगतान किया जाना जाता है, यदि धनराशि कंपनी के उचित बाजार मूल्य से अधिक हैं।

प्रमुख तथ्य

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 56(2)(viib) के उद्देश्य से शेयरों के वैल्यूएशन के संबंध में नियम 11UA में संशोधन प्रस्तावित किया है।

वर्तमान में, नियम 11UA भारत में रहने वाले निवेशकों (रेसिडेंट इन्वेस्टर्स) के लिए दो वैल्यूएशन पद्धतियों, अर्थात् डिस्काउंटेड कैश फ्लो (DCF) और नेट एसेट वैल्यू (NAV) को निर्धारित करता है।

सरकार उपर्युक्त दो वैल्यूएशन पद्धतियों के अलावा विशेष रूप से अनिवासी निवेशकों (non-resident investors) के लिए पांच अतिरिक्त वैल्यूएशन पद्धतियों का प्रस्ताव किया है।

प्रस्तावित कानून का उद्देश्य निवासी और अनिवासी, दोनों प्रकार के निवेशकों को अधिक स्वतंत्रता प्रदान करके भारत की स्टार्टअप इकोसिस्टम मैकेनिज्म को मजबूत करना है, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू बाजार में वैश्विक निवेश में वृद्धि होगी।

पहले एंजल टैक्स केवल निवासी निवेशकों पर लागू होता था। हालांकि, बजट 2023-24 में अनिवासी निवेशकों को भी एंजेल टैक्स के दायरे में लाया गया।

वित्त अधिनियम, 2023 ने I-T अधिनियम की धारा 56(2) (viib) में संशोधन किया है, जिससे गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में विदेशी निवेश को कर के दायरे में लाया जा सकता है।

इस प्रकार, अधिनियम की धारा 56(2)(viib) के प्रावधानों को इसके दायरे में शामिल करने के लिए विस्तृत किया गया है। इसका उद्देश्य कर प्रावधानों को तर्कसंगत बनाकर कर आधार को विस्तार करना और अनिवासियों द्वारा कर से बचने की गुंजाइश को समाप्त करना था।

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