एंड-ऑफ लाइफ व्हीकल्स नियम
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 7 जनवरी को ‘एंड-ऑफ लाइफ व्हीकल्स’ नियमावली जारी की है। इससे संबंधित राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि वाहन निर्माता पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा या नामित कलेक्शन केंद्रों पर वाहनों की स्क्रैपिंग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक उपाय करेंगे।
एंड-ऑफ लाइफ व्हीकल्स नियमावली: मुख्य तथ्य
यह नियम अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा।
प्रत्येक निर्माता (वाहन निर्माता) को पंजीकृत मालिक से उपयोग समाप्ति वाले वाहन यानी एंड-ऑफ लाइफ व्हीकल्स प्राप्त करने के लिए किसी भी नामित संग्रह केंद्र, जिसमें उनकी बिक्री आउटलेट भी शामिल हैं, पर व्यवस्था करनी होगी।
इसके अलावा, उन्हें इन नामित संग्रह केंद्रों और बिक्री आउटलेट्स की सूची अपनी वेबसाइट पर और अपने बिक्री एवं सेवा केंद्रों पर प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करनी होगी।
वाहन निर्माताओं को भारत में 20 साल पहले बेचे गए वाहनों की संख्या के आधार पर 8 प्रतिशत स्टील की स्क्रैपिंग या रीसाइक्लिंग की घोषणा करनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी ने 2005-06 में वाहन बेचे थे, तो अब उसे उस वर्ष बेचे गए वाहनों में उपयोग किए गए स्टील का न्यूनतम 8 प्रतिशत स्क्रैप करने की घोषणा करनी होगी और “विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी” (Extended Producer Responsibility) के तहत प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा। इसका अर्थ है कि वाहन कंपनियां सरकार को यह प्रमाणित कर सकती हैं कि वे पर्यावरणीय रूप से सही तरीके से वाहनों का पुनर्चक्रण कर रही हैं।
किन पर नहीं लागू होगा?
ये नियम बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2022 के अंतर्गत आने वाली अपशिष्ट बैटरियों ; प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अंतर्गत प्लास्टिक पैकेजिंग; खतरनाक और अन्य अपशिष्ट नियम, 2016 के अंतर्गत आने वाले बेकार टायर और प्रयुक्त तेल; और ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 के तहत कवर किए गए ई-कचरे पर लागू नहीं होंगे।
ये नियम कृषि ट्रैक्टर, कृषि ट्रेलर, कंबाइन हार्वेस्टर और पावर टिलर पर लागू नहीं होंगे।
किन पर लागू होगा?
ये नियम मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (59 ऑफ 1988) में परिभाषित सभी प्रकार के वाहनों पर लागू होते हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी संचालित वाहन और ई-रिक्शा या ई-कार्ट शामिल हैं।