रिप्रेजेन्टेटिव कंसंट्रेशन पाथवे (RCP)

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन आजीविका और औषधीय उपयोग के लिए आवश्यक प्रमुख वृक्ष प्रजातियों के क्षेत्र को महत्वपूर्ण रूप से बदल देगा।

अध्ययन से संकेत मिलता है कि भारत के उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती जंगलों से बेल (वुड एप्पल) और बहेड़ा जैसे नॉन-टिम्बर  वन उपज के विस्तार की उम्मीद है, जबकि चिरौंजी, महुआ और आंवला (भारतीय करौदा) जैसी प्रजातियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

रिप्रेजेन्टेटिव कंसंट्रेशन पाथवे (Representative Concentration Pathways: RCP)  2.6 और 8.5 से जलवायु परिदृश्यों पर विचार करता है।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल के अनुसार, RCP 2.6 मानता है कि 2020 तक कार्बन उत्सर्जन में कमी आनी शुरू हो गई, जबकि RCP 8.5 का अनुमान है कि यदि वर्तमान ट्रेंड जारी रहा तो तापमान में 3.3 से 5.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।

RCP का उपयोग 2014 में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पांचवीं आकलन रिपोर्ट में रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार के रूप में किया गया था।

RCP यह समझने के लिए कि भविष्य में हमारी जलवायु कैसे बदल सकती है, हमें यह अनुमान लगाने की जरूरत है कि हम कैसे व्यवहार करेंगे। उदाहरण के लिए, क्या हम  जीवाश्म ईंधन को अधिक जलाना जारी रखेंगे, या हम अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ेंगे?

RCP इन भविष्य के ट्रेंड को कैप्चर करने की कोशिश करते हैं। वे पूर्वानुमान लगाते हैं कि मानव गतिविधियों के परिणामस्वरूप भविष्य में वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा कैसे बदलेगी।

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