जैश अल-अदल

ईरानी मिसाइलों और ड्रोनों ने 16 जनवरी 2024 को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ठिकानों पर हमला किया, जिसे ईरानी मीडिया ने जैश अल-धुल्म (जैश अल-अदल) आतंकवादी समूह के दो प्रमुख गढ़ माना है।

ये हमले ईरान की सीमा के करीब पंजगुर शहर में हुए। ईरानी मीडिया के अनुसार, इस ऑपरेशन का केंद्र बिंदु बलूचिस्तान में कोह-सब्ज़ (ग्रीन माउंटेन) के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र था, जिसे जैश अल-धुल्म (Jaysh al-Dhulm) आतंकवादी के सबसे बड़े केंद्रों में से एक माना जाता है।

जैश अल-अदल (Jaish al-Adl) का शाब्दिक अर्थ “न्याय की सेना” है। यह एक सुन्नी सलाफिस्ट आतंकवादी समूह है जिसका बेस  पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में है, जो पाकिस्तान और ईरान के पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

वे कई सुन्नी उग्रवादी अलगाववादी समूहों में से एक हैं, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत और हिंद महासागर की सीमा से सटे ईरान के दक्षिणपूर्वी कोने में सिस्तान और बलूचिस्तान (जिसे असली बलूचिस्तान के रूप में जाना जाता है) प्रांत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने का दावा करते हैं।

जैश अल-अदल की स्थापना 2002 या 2003 में पूर्व जुनदुल्लाह नेता अब्दोलमालेक रिगी ने की थी।

सुन्नी आतंकवादी समूह जैश अल-अदल, जो खुद को “पीपुल्स रेजिस्टेंस ऑफ ईरान” भी कहता है, ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, और निकटवर्ती बलूच बहुसंख्यक क्षेत्र  में अधिक सक्रिय है।

बलूचिस्तान के अधिकांश क्षेत्र ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैले हुए हैं।

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