कपडागंडा शॉल और लांजिया सौरी के पट्टचित्र
हाल में ओडिशा के सात उत्पादों को भौगोलिक संकेतक यानी जीआई (Geographical Indication: GI) टैग दिया गया है। इनमें रेड वीवर चींटियों से बनी सिमिलिपाल काई चटनी, खजूर गुड़ ढेंकानाल का मगजी लड्डू, नयागढ़ का कंटेईमुंडी बैगन, डुंगरिया कोंध जनजाति के हाथ से बुने हुए कपडागंडा (कढ़ाई वाले) शॉल, कोरापुट का काला जीरा चावल और लांजिया सौरी के पट्टचित्र (एडिटल) शामिल हैं।
ओडिशा के रायगढ़ा और कालाहांडी जिलों में नियमगिरि पहाड़ियों में विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (PVTG) डोंगरिया कोंध जनजाति की महिलाओं द्वारा बुना और कढ़ाई किया गया कपडागंडा शॉल (Kapdaganda shawl ) डोंगरिया कोंधों की समृद्ध आदिवासी विरासत को दर्शाता है।
लांजिया सौरा पेंटिंग (Lanjia Saura Painting), सबसे प्राचीन आदिवासी कला रूपों में से एक है। इसे इडिटल (Idital) के नाम से भी जाना जाता है। ये कलाकृतियाँ अपनी सुंदरता, सौंदर्यशास्त्र के लिए प्रसिद्ध हैं।
कोरापुट काला जीरा चावल (Koraput Kala Jeera Rice) काले रंग की चावल की किस्म है। यह अपनी सुगंध, स्वाद और पोषण मूल्य के लिए प्रसिद्ध है।
नयागढ़ कांतिमुंडी बैंगन (Nayagarh Kanteimundi Brinjal) अपने तनों और पूरे पौधे पर कांटेदार कांटों के लिए जाना जाता है। ढेंकनाल मगजी (Dhenkanal Magji) एक प्रकार की मिठाई है जो भैंस के दूध के पनीर से बनाई जाती है।