पिपराहवा अवशेषों (Piparahwa Relics) की बैंकॉक में प्रदर्शनी
भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों अर्हत सारिपुत्र और अर्हत मौद्गल्यायन के चार पवित्र पिपराहवा अवशेषों (Piparahwa Relics) को 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए बैंकॉक (थाईलैंड) भेजा गया।
ये अवशेष संस्कृति मंत्रालय के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए विशेष अवशेषों में से 20 के हैं।
पिपराहवा/कपिलवस्तु अवशेष
गौरतलब है कि संपूर्ण बौद्ध जगत में पिपरहवा में खोजी गई वस्तुओं को कपिलवस्तु अवशेष (Kapilavastu relics) कहा जाता है।
एक-दूसरे के देशों में बुद्ध के अवशेषों की प्रदर्शनी बौद्ध संबंधों का एक महत्वपूर्ण घटक है।
भारत में कपिलवस्तु रेलिक्स यानी पिपरहवा रेलिक्स, अतीत में कई बार भारत से बाहर ले जाए गए हैं।
भारत सरकार ने केवल के.एम. श्रीवास्तव द्वारा 1971-73 में पिपरहवा में उत्खनन से प्राप्त अवशेषों को भारत से बाहर प्रदर्शनी के लिए ले जाने की अनुमति दी है।
कई लोगों के लिए बुद्ध को उनके अवशेषों में ‘जीवित’ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह अवशेष स्वयं जीवित बुद्ध की आध्यात्मिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
आज, पिपरहवा में खोजे गए अवशेष दुनिया भर के बौद्धों द्वारा पूजे जाते हैं। ये अवशेष विभिन्न स्थानों में पाए जा सकते हैं, जिनमें बैंकॉक का स्वर्ण मंदिर और श्रीलंका के कई मंदिर (कल्टुरा में वास्काडुवे मंदिर), कैलिफ़ोर्निया में जोडो शिंसु बौद्ध केंद्र और पेरिस में ग्रांडे पैगोडे डी विन्सेनेस भी शामिल हैं।