द ग्लोबल स्टेटस ऑफ साल्ट-अफेक्टेड सॉइल्स रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने 11 दिसंबर 2024 को “द ग्लोबल स्टेटस ऑफ साल्ट-अफेक्टेड सॉइल्स” नामक रिपोर्ट जारी की।
यह रिपोर्ट बैंकॉक में आयोजित इंटरनेशनल सॉइल एंड वॉटर फोरम 2024 के दौरान लॉन्च की गई, जिसे FAO और थाईलैंड के कृषि और सहकारी मंत्रालय ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था। साल्ट-अफेक्टेड सॉइल (नमकीन मृदा) एक विशेष प्रकार की मिट्टी है, जिसमें घुलनशील लवण (सालाइन सॉइल्स) या विनिमेय सोडियम (सोडिक सॉइल्स) की अधिक मात्रा होती है, जो अधिकांश पौधों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। अत्यधिक लवणीयता मिट्टी की उर्वरता को कम कर देती है और पर्यावरणीय संधारणीयता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- विश्वभर में लगभग 1.4 अरब हेक्टेयर भूमि, यानी कुल वैश्विक भूमि क्षेत्र का 10.7 प्रतिशत, लवणीयता से प्रभावित है।
- लगभग 10 प्रतिशत सिंचित कृषि भूमि और 10 प्रतिशत वर्षा आधारित कृषि भूमि लवणीयता से प्रभावित है, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- लवणीकरण की समस्या मुख्य रूप से विकासशील देशों में बढ़ने की संभावना है।
साल्ट-अफेक्टेड सॉइल्स का वैश्विक वितरण:
- वर्तमान में, 10 देश — अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, चीन, कज़ाखस्तान, रूस, अमेरिका, ईरान, सूडान और उज़्बेकिस्तान — दुनिया की 70 प्रतिशत नमकीन मिट्टी के लिए जिम्मेदार हैं।
- सबसे बड़ी नमकीन मिट्टी वाले क्षेत्र:
- ऑस्ट्रेलिया (357 मिलियन हेक्टेयर)
- अर्जेंटीना (153 मिलियन हेक्टेयर)
- कज़ाखस्तान (94 मिलियन हेक्टेयर)
सैलिनिटी और सोडिक मिट्टी से सबसे अधिक प्रभावित देश:
- ओमान (देश के कुल क्षेत्रफल का 93.5 प्रतिशत)
- उज़्बेकिस्तान (92.9 प्रतिशत)
- जॉर्डन (90.6 प्रतिशत)
भारत में स्थिति:
भारत में लगभग 6.72 मिलियन हेक्टेयर भूमि नमकीन मिट्टी से प्रभावित है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 2.1 प्रतिशत है। इसमें से:
- 2.95 मिलियन हेक्टेयर भूमि सालाइन है।
- 3.77 मिलियन हेक्टेयर भूमि सोडिक है।
लवण प्रभावित मृदा वाले शीर्ष राज्य:
- गुजरात (2.23 मिलियन हेक्टेयर)
- उत्तर प्रदेश (1.37 मिलियन हेक्टेयर)
- महाराष्ट्र (0.61 मिलियन हेक्टेयर)
- पश्चिम बंगाल (0.44 मिलियन हेक्टेयर)
- राजस्थान (0.38 मिलियन हेक्टेयर)
ये राज्य देश की कुल नमकीन मृदा का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं।
साल्ट-अफेक्टेड मृदा के कारण:
- प्राकृतिक गतिविधियां एँ और मानव गतिविधियां, दोनों ही लवणीकरण को बढ़ा रहे हैं।
- जलवायु संकट के कारण शुष्कता और ताजे पानी की कमी बढ़ रही है।
- समुद्री जल के स्तर में वृद्धि के कारण सदी के अंत तक तटीय क्षेत्रों में एक अरब से अधिक लोग बाढ़ और लवणीकरण के जोखिम में आ सकते हैं।
- कृषि की अनुचित प्रथाओं ने भी लवणीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।