दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त (CCPD) की अदालत के दो फैसले
हाल में, दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त की अदालत (Court of Chief Commissioner of Persons with Disabilities) ने दो ऐतिहासिक फैसले सुनाए जो हमारे समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे और दिव्यांगजनों के प्रति हमारे नजरिये को नया रूप देंगे।
कौन से हैं दो फैसले?
मुख्य आयुक्त की अदालत ने आदेश दिया कि देश में कोई भी सरकारी कार्यालय, चाहे वह केंद्र, राज्य या स्थानीय सरकार के स्तर पर हो, उन भवनों या परिसरों में संचालित हो रहे हों जो दिव्यांगजनों के लिए सुगम्य नहीं हैं, उन्हें अपनी सेवाओं को भूतल या उसी केंद्र के किसी अन्य सुगम्य स्थान पर स्थानांतरित करना होगा।
मुख्य आयुक्त की अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि देश में विमान सेवा देने वाले सभी एयरलाइंस, चाहे वे भारतीय हों या विदेशी, दिव्यांग जनों के अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं।
दिव्यांग जनों के लिए मुख्य आयुक्त का कार्यालय
दिव्यांग जनों के लिए मुख्य आयुक्त का कार्यालय दिव्यांगजन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 की धारा 57 के तहत स्थापित किया गया था।
इस कार्यालय को दिव्यांग जनों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का आदेश दिया गया है। दिव्यांग जनों के अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD Act, 2016) ने दिव्यांगजन (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 का स्थान ले लिया।
RPwD अधिनियम 2016 की नई क़ानून धारा 74 के तहत केंद्र में दिव्यांग जनों के लिए एक मुख्य आयुक्त और मुख्य आयुक्त की सहायता के लिए दो आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान है।
दिव्यांग जनों के लिए मुख्य आयुक्त (CCPD) का कार्यालय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग का हिस्सा है।