द क्लाइमेट चेंज्ड चाइल्ड रिपोर्ट

COP28 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से पहले यूनिसेफ द्वारा “द क्लाइमेट चेंज्ड चाइल्ड” (The Climate Changed Child) रिपोर्ट जारी की गई।

यह रिपोर्ट  यूनिसेफ की 2021 की ऐतिहासिक “चिल्ड्रन क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (Children’s Climate Risk Index: CCRI) रिपोर्ट पर आधारित है। इस इंडेक्स में कहा गया था कि विश्व के 1 अरब बच्चे जलवायु संकट के प्रभावों के खतरे का सामना कर रहे हैं। इंडेक्स में जलवायु और पर्यावरणीय आघातों  के आठ घटकों का विश्लेषण किया गया था।

 “द क्लाइमेट चेंज्ड चाइल्ड” रिपोर्ट CCRI के दो घटकों पर आधारित हैं; पानी की कमी (पानी की भौतिक उपलब्धता) तथा वाटर वल्नेरेबिलिटी (पानी की कमी और पेयजल सेवा तक पहुंच की कमी का संयोजन)।

रिपोर्ट के अनुसार 3 में से 1 बच्चा – या दुनिया भर में 739 मिलियन – पहले से ही उच्च या बहुत अधिक पानी की कमी वाले क्षेत्रों में रहते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण स्थिति और खराब होने का खतरा है। रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार,ऐसे बच्चों का सबसे बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में रहते हैं।

जलवायु संकट सिर्फ पृथ्वी को ही नहीं बदल रहा है – यह बच्चों को भी बदल रहा है।

प्रमुख बहुपक्षीय समझौता की जलवायु निधियों से केवल 2.4 प्रतिशत क्लाइमेट फाइनेंस  चाइल्ड रेस्पॉन्सिव  गतिविधियों को शामिल करने वाली परियोजनाओं का समर्थन करता है।

जलवायु नीति और निर्णयों में बच्चों की लगभग कोई औपचारिक भूमिका नहीं होती है, और उन्हें मौजूदा जलवायु अनुकूलन, शमन या वित्त पोषण योजनाओं और कार्यों में शायद ही कभी फैक्टर माना जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक: 739 मिलियन बच्चे हाई या एक्सट्रेमेली हाई जल संकट की चपेट में हैं और 436 मिलियन बच्चे हाई या एक्सट्रेमेली हाई वॉटर वल्नेरेबिलिटी वाले क्षेत्रों में रहते हैं।

उच्च आय वाले देशों सहित दुनिया के हर क्षेत्र को बच्चों को पानी की कमी से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और जलवायु परिवर्तन के साथ, आने वाले दशकों में समस्या के और भी बदतर होने की आशंका है।

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