भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत अपराध की धाराएं

तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई 2024 को लागू हो गए। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह ले ली; भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने भारतीय दंड संहिता का स्थान ले लिया; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 ने इंडियन एविडेंस एक्ट का स्थान ले लिया।

IPC में 511 की तुलना में BNS में 358 धाराएं हैं। इसलिए, IPC में सूचीबद्ध कई आपराधिक आरोपों की संख्या बदल गई है। उदाहरण के लिए, धारा 420, जो धोखाधड़ी (चीटिंग) को परिभाषित करती है, अब इसे BNS में धारा 318 के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

हत्या की सज़ा पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में थी, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 के अंतर्गत आता है। हत्या का प्रयास पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अंतर्गत आता था, अब यह अपराध BNS की धारा 109 के अंतर्गत आता है।

हत्या का प्रयास: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 307, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के अंतर्गत आता है।

बलात्कार: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 375, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 के अंतर्गत आता है।

सामूहिक दुष्कर्म: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 70(1) के अंतर्गत आता है।

विवाहित महिला के साथ क्रूरता: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 के अंतर्गत आता है।

दहेज हत्या: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 304बी, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 80 के अंतर्गत आता है।

यौन उत्पीड़न: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 75 के अंतर्गत आता है।

महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 354, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 74 के अंतर्गत आता है।

आपराधिक धमकी (Criminal intimidation): पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 503, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 351 के अंतर्गत आता है।

मानहानि: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 499, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के अंतर्गत आता है।

धोखाधड़ी (चीटिंग): पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 420, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 के अंतर्गत आता है।

आपराधिक षडयंत्र: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 120ए, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 के अंतर्गत आता है।

राजद्रोह: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के अंतर्गत आता है।

विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना: पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, अब यह अपराध भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 के अंतर्गत आता है।

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