संसद ने समुद्री डकैती रोधी (एंटी-पायरेसी) विधेयक 2019 पारित किया 

राज्यसभा ने 21 दिसंबर 2022 को समुद्री डकैती रोधी विधेयक 2019 (Maritime Anti­-Piracy Bill 2019) पारित कर दिया। लोकसभा इसे तीन दिन पहले पारित कर चुका है।

यह विधेयक विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पेश किया था। विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि यह विधेयक यूएन कन्वेंशन ऑन द लॉज़ ऑफ़ सीज़ (UNCLOS) की सभी अपेक्षाओं को पूरा करेगा जो खुले समुद्र (high seas) में समुद्री डकैती के दमन का प्रावधान करता है। भारत UNCLOS का हस्ताक्षरकर्ता है।

बिल की आवश्यकता क्यों पड़ी?

इस विधेयक के पारित होने से पहले, पायरेसी के अपराध से निपटने के लिए को कोई विशेष कानून नहीं था। पायरेसी के आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं का इस्तेमाल किया जाता था।

हालाँकि, इसमें समस्या यह थी कि IPC केवल भारत के प्रादेशिक जल (territorial waters) पर लागू होते हैं जो UNCLOS के अनुसार भारत के तट से केवल 12 समुद्री मील तक विस्तृत है।

भारत ने 1995 में यूएन कन्वेंशन ऑन द लॉज़ ऑफ़ सीज़ (UNCLOS) पर भी हस्ताक्षर किए है, जिसमें एंटी-पायरेसी के लिए कुछ प्रावधान हैं। इसके लिए विशेष कानून आवश्यक हो गया था।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

यह विधेयक समुद्री डकैती को एक निजी जहाज या विमान के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिए किसी जहाज, विमान, किसी व्यक्ति के खिलाफ की गई हिंसा, हिरासत या या संपत्ति विनाश के किसी भी गैर-कानूनी करवाई के रूप में परिभाषित करता है।

यह न केवल प्रादेशिक जल (बेसलाइन से 12 समुद्री मील की दूरी) और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (exclusive economic zone: EEZ) में बल्कि खुले समुद्र (हाई सी) में भी समुद्री डकैती से निपटने के लिए एक प्रभावी कानूनी साधन प्रदान करता है। EEZ किसी देश की तटरेखा से 200 नॉटिकल मील की दूरी तक विस्तृत होता है।

मृत्युदंड अब अनिवार्य नहीं हैदंड में आजीवन या मृत्यु के लिए कारावास शामिल होगा। मृत्यु या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाएगी यदि पाइरेसी के कार्य या प्रयास में हत्या का प्रयास शामिल है, किसी की मृत्यु हो जाती है।

केंद्र ने लोकसभा में लाए गए संशोधनों के जरिए अनुपस्थिति में सुनवाई के प्रावधान को हटा दिया है।

कारावास को आजीवन कारावास, या जुर्माना, या दोनों तक बढ़ाया जा सकता है।

समुद्री डकैती करने या सहायता करने के प्रयास के लिए 10 साल तक का कारावास, या जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।

केवल अधिकृत कर्मी ही गिरफ्तारी और जब्ती कर सकते हैं। इनमें भारतीय नौसेना के युद्धपोतों या सैन्य विमान के जिम्मे वाले अधिकारी और नाविक, या तटरक्षक बल के अधिकारी और नामांकित व्यक्ति या किसी जहाज या विमान के लिए अधिकृत केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारी शामिल हैं।

अधिकृत कर्मी संदेह के आधार पर गिरफ्तारी और जब्ती कर सकते हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद पाइरेसी के मुक़दमे के लिए न्यायालय और उसके न्यायिक क्षेत्र केंद्र द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा।

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