T3 दिल्ली एयरपोर्ट और बेंगलुरु एयरपोर्ट पर ‘डिजीयात्रा’ (DigiYatra) सेवा शुरू

दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) ने 15 अगस्त को केंद्र की डिजीयात्रा पहल (DigiYatra initiative) के सॉफ्ट लॉन्च की घोषणा की, जो एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म के लिए अपने ऐप के बीटा संस्करण को रोल आउट कर रही है। इसे केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे बंगलोर में भी लॉन्च किया गया है।

क्या है डिजीयात्रा पहल (DigiYatra initiative)?

डिजीयात्रा चेहरा पहचान तकनीक (facial recognition technology) पर आधारित एक पैसेंजर प्रोसेसिंग प्रणाली है। दरअसल डिजीयात्रा एक बायोमेट्रिक इनेबल्ड सीमलेस ट्रैवल एक्सपीरियंस (Biometric Enabled Seamless Travel experience: BEST) है जो फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी पर आधारित है।

“डिजियात्रा भारत सरकार की एक अनूठी पहल है, जो नागरिक विमानन मंत्रालय द्वारा समन्वित है। यह परियोजना डिजीयात्रा फाउंडेशन द्वारा कार्यान्वित की जा रही है जो एक संयुक्त उद्यम कंपनी है और जिसके शेयरधारक भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (26% हिस्सेदारी) और बेंगलुरु हवाई अड्डे, दिल्ली हवाई अड्डे, हैदराबाद हवाई अड्डे, मुंबई हवाई अड्डे और कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।

इसे दिल्ली हवाई अड्डे पर संचालित किया गया है और हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया गया है।

डिजियात्रा का उद्देश्य यह है कि यात्री अपनी पहचान स्थापित करने के लिए चेहरे की फीचर का उपयोग करते हुए, पेपरलेस और कॉन्टैक्टलेस प्रोसेसिंग के माध्यम से हवाई अड्डे पर विभिन्न चेकपॉइंट्स से प्रवेश करे, जो कि बोर्डिंग पास से जुड़ा होता है।

इस तकनीक के साथ, यात्रियों के प्रवेश को सभी चेकपॉइंट्स पर चेहरा पहचान प्रणाली के आधार पर ऑटोमैटिकली रूप से प्रोसेस किया जाएगा – जिसमें हवाई अड्डे में प्रवेश, सुरक्षा जांच क्षेत्र, विमान बोर्डिंग आदि शामिल हैं।

इस सुविधा का उपयोग करने के लिए, यात्रियों को पहले डिजीयात्रा ऐप डाउनलोड करनी होगी।

यूजर्स आधार क्रेडेंशियल का उपयोग करके ऐप पर पंजीकरण कर सकते हैं, इसके बाद आधार कार्ड के साथ एक सेल्फी ले सकते हैं। इसके बाद CoWIN क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके टीकाकरण विवरण ऐप में जोड़ना होगा। फिर, व्यक्ति को अपने बोर्डिंग पास को क्यूआर कोड या बार कोड के साथ स्कैन करना होगा, जिसके बाद क्रेडेंशियल्स को हवाई अड्डे के साथ साझा किया जाएगा।

हवाई अड्डे में प्रवेश के लिए यात्रियों को ई-गेट पर अपने बोर्डिंग पास को स्कैन करना होगा और वहां लगे फेशियल रिकग्निशन सिस्टम कैमरे को देखना होगा।

अन्य चेकपॉइंट्स में प्रवेश के लिए भी यही तरीका लागू होगा। इसका मतलब है कि यात्रियों का चेहरा उनके दस्तावेजों के रूप में काम करेगा, जैसे कि आईडी प्रूफ, वैक्सीन प्रूफ और बोर्डिंग पास के रूप में भी काम करेगा।

यह हवाई अड्डे पर सुरक्षा को भी मजबूत करेगा क्योंकि यात्री डेटा को एयरलाइंस प्रस्थान नियंत्रण प्रणाली के साथ सत्यापित किया गया होता है, जिससे केवल नामित यात्री ही टर्मिनल में प्रवेश कर सकते हैं।

पूरी प्रक्रिया में किसी अनधिकृत व्यक्ति के प्रवेश करने की संभावना नगण्य है, साथ ही यह ऑटोमैटिक भी है जिससे CISF, एयरलाइंस और अन्य जैसे स्टेकहोल्डर्स भी उसी अनुरूप कर्मचारियों की कम तैनाती कर सकते हैं।

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